विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी किसी देश की प्रगति एवं आधुनिकीकरण के लिए एक महत्वपूर्ण साधन है। किसी राष्ट्र की आर्थिक प्रगति उसकी बौद्धिक संपदा की सुरक्षा का सूचक होती है। नई आर्थिक नीति में भारत ने भी बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली में प्रवेश किया है। भारत को बौद्धिक संपदा अधिकारों की सुरक्षा के लिए भी एक सख्त व्यवस्था की आवश्यकता है, ताकि वह प्रतिस्पर्धी बाजार में टिक सके। नौवीं पंचवर्षीय योजना में प्रौद्योगिकी सूचना पूर्वानुमान एवं मूल्यांकन परिषद (TIFAC) से वित्तीय एवं तकनीकी सहायता लेकर वर्ष 1997 में मध्य प्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद में पेटेंट सूचना केंद्र की स्थापना कर एक नई दिशा में कदम बढ़ाया गया है।

मध्य प्रदेश: बौद्धिक संपदा अधिकारों में प्रगति

भारत के हृदय में स्थित मध्य प्रदेश न केवल अपनी समृद्ध संस्कृति एवं विरासत के लिए जाना जाता है, बल्कि बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय प्रगति कर रहा है। पिछले कुछ वर्षों में राज्य ने IPR जागरूकता बढ़ाने, बौद्धिक संपदा संरक्षण को मजबूत करने और नवाचार को प्रोत्साहित करने के लिए कई ठोस पहल की हैं।

उद्देश्य

  • बौद्धिक संपदा अधिकारों को बढ़ावा देना: पेटेंट खोज को सुगम बनाना, बौद्धिक संपदा नीतियों पर अनुसंधान एवं विकास अध्ययन करना, आविष्कारकों को उनके कार्य को पेटेंट कराने के लिए मार्गदर्शन करना।
  • पेटेंट सूचना की जांच एवं अनुसंधान: अनुसंधान एवं विकास संगठनों को नई योजनाएं बनाने में सहायता करना, राज्य में उपलब्ध बौद्धिक संपदा की सुरक्षा के लिए उपाय करना।
  • अन्वेषण प्रोत्साहन: राज्य के ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों के लोगों को नई खोज करने के लिए प्रोत्साहित करना, उनकी खोजों को पेटेंट कराने के लिए तकनीकी सहायता प्रदान करना।
  • वित्तीय सहायता: आर्थिक रूप से कमजोर प्रतिभाओं को उनके शोध कार्य को पूरा करने तथा राज्य के हित में की जा रही खोजों के लिए पेटेंट प्राप्त करने के लिए सरकार से वित्तीय सहायता प्रदान करना।
  • पुरस्कार एवं समन्वय: राज्य सरकार से राज्य की उत्कृष्ट पेटेंट खोजों को पुरस्कृत करने का अनुरोध करना, विभिन्न शैक्षणिक, औद्योगिक एवं अनुसंधान संस्थानों के साथ समन्वय स्थापित करना।
  • सूचना उपलब्धता: पेटेंट सूचना केंद्र पर पेटेंट संबंधी पुस्तकें, पत्रिकाएं, समाचार एवं राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पेटेंट डेटाबेस उपलब्ध कराना।

आईपीआर जागरूकता अभियान

मध्य प्रदेश सरकार ने लोगों, विशेषकर उद्यमियों, स्टार्टअप्स एवं लघु व्यवसायों के बीच आईपीआर के बारे में जागरूकता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया है। इसके लिए सरकार ने विभिन्न कार्यशालाएं, सेमिनार और जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए हैं। साथ ही सरकार ने आईपीआर से संबंधित जानकारी देने के लिए वेबसाइट और हेल्पलाइन भी स्थापित की हैं।

बौद्धिक संपदा संरक्षण को मजबूत बनाना

राज्य सरकार ने बौद्धिक संपदा अधिकारों के संरक्षण को मजबूत बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं। इसमें पेटेंट, ट्रेडमार्क और कॉपीराइट के लिए तेजी से पंजीकरण प्रक्रिया शामिल है। सरकार ने बौद्धिक संपदा न्यायालय भी स्थापित किए हैं, जो आईपीआर से संबंधित मामलों का तेजी से और कुशलता से निपटारा करते हैं।

नवाचार को प्रोत्साहित करना

मध्य प्रदेश सरकार नवाचार और अनुसंधान को प्रोत्साहित करने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके लिए सरकार ने स्टार्टअप और उद्यमियों के लिए वित्तीय सहायता योजनाएं शुरू की हैं। सरकार ने इनक्यूबेशन सेंटर और साइंस पार्क भी स्थापित किए हैं, जो अभिनव विचारों को विकसित करने और उन्हें व्यावसायिक रूप से व्यवहार्य बनाने में मदद करते हैं।

पहल के परिणाम

  • आवेदनों में वृद्धि: मध्य प्रदेश में पेटेंट, ट्रेडमार्क और कॉपीराइट के लिए आवेदनों की संख्या में वृद्धि हुई है।
  • तेज निपटान: आईपीआर से संबंधित मामलों का तेजी से और अधिक कुशलता से निपटारा किया जा रहा है।
  • नवाचार गतिविधियों में वृद्धि: राज्य में नवाचार और अनुसंधान गतिविधियों में वृद्धि हुई है।

कार्यक्रम

  • राष्ट्रीय/अंतरराष्ट्रीय पेटेंट डेटा की खोज करना।
  • बौद्धिक संपदा अधिकारों पर कार्यशालाओं और शिविरों का आयोजन करना।
  • बौद्धिक संपदा अधिकारों पर व्याख्यान आयोजित करना।
  • स्कूलों और कॉलेजों में प्रदर्शनियों का आयोजन करना।
  • विभिन्न मीडिया के माध्यम से पेटेंट अधिकारों के बारे में जागरूकता बढ़ाना।
  • दूरदराज के क्षेत्रों, आदिवासी और पिछड़े क्षेत्रों और महिला आबादी वाले क्षेत्रों में कार्यक्रमों का आयोजन करना।
  • युवा छात्रों और ग्रामीण कौशल को प्रोत्साहित करने के लिए तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान करना।
  • मध्य प्रदेश के भौगोलिक संकेतकों और अन्य बौद्धिक संपदाओं की पहचान करना और उनका संरक्षण करना।
  • परिषद में अधिकारियों/कर्मचारियों के लिए कार्यशालाओं का आयोजन करना।

निष्कर्ष

मध्य प्रदेश बौद्धिक संपदा अधिकारों के क्षेत्र में एक आदर्श राज्य बनने की ओर अग्रसर है। सरकार की सक्रिय पहल और लोगों में बढ़ती जागरूकता के साथ, मध्य प्रदेश में नवाचार और रचनात्मकता के लिए एक आदर्श वातावरण बनने की क्षमता है।

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