भारत में राष्ट्रीय राजमार्ग (National Highways) देश के परिवहन तंत्र की रीढ़ हैं। ये प्रमुख सड़कें राज्यों, शहरों, और गाँवों को जोड़ते हुए भारत की आर्थिक, सामाजिक, और सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। राष्ट्रीय राजमार्गों का रखरखाव और निर्माण भारत सरकार के सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (Ministry of Road Transport and Highways – MoRTH) द्वारा किया जाता है।
राष्ट्रीय राजमार्ग का इतिहास
भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों की योजना स्वतंत्रता से पहले ब्रिटिश शासन के समय बनाई गई थी। 1947 के बाद, भारत सरकार ने तेजी से बुनियादी ढांचे के विकास पर जोर दिया, जिसमें सड़कों का विस्तार और सुधार भी शामिल था। 1998 में राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना (NHDP) की शुरुआत की गई, जिसके तहत भारत के विभिन्न भागों को बेहतर सड़क नेटवर्क से जोड़ने के लिए व्यापक योजनाएं बनाई गईं।
राष्ट्रीय राजमार्गों की परिभाषा
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग वे सड़कें होती हैं जो देश के विभिन्न राज्यों को आपस में जोड़ती हैं या किसी अंतरराष्ट्रीय सीमा, बंदरगाह या प्रमुख पर्यटन स्थल को जोड़ती हैं। इन सड़कों को महत्वपूर्ण वाणिज्यिक और सैन्य उपयोग के लिए भी डिज़ाइन किया जाता है।
राष्ट्रीय राजमार्गों की संख्या और लंबाई
भारत में 2024 तक लगभग 1,44,000 किलोमीटर लंबी राष्ट्रीय राजमार्गों का जाल फैला हुआ है। ये राजमार्ग देश के लगभग सभी महत्वपूर्ण हिस्सों को जोड़ते हैं और भारत की कुल सड़क नेटवर्क में केवल 2% का योगदान करते हैं, लेकिन यातायात का लगभग 40% भार ये उठाते हैं।
प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्ग
भारत में कई महत्वपूर्ण राष्ट्रीय राजमार्ग हैं। इनमें से कुछ प्रमुख राजमार्ग हैं:
- NH-44 (पूर्व में NH-7): यह भारत का सबसे लंबा राष्ट्रीय राजमार्ग है, जो श्रीनगर (जम्मू-कश्मीर) से लेकर कन्याकुमारी (तमिलनाडु) तक फैला हुआ है। इसकी लंबाई लगभग 3,745 किलोमीटर है।
- NH-16: यह कोलकाता (पश्चिम बंगाल) से चेन्नई (तमिलनाडु) तक जाता है और पूर्वी तट पर स्थित महत्वपूर्ण शहरों को जोड़ता है।
- NH-48: यह दिल्ली से मुंबई को जोड़ने वाला एक प्रमुख राजमार्ग है, जिसे भारत की आर्थिक धारा कहा जाता है।
राष्ट्रीय राजमार्गों की संख्या प्रणाली
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्गों की संख्या प्रणाली को 2010 में पुनर्गठित किया गया था। नई प्रणाली के अनुसार:
- उत्तर से दक्षिण जाने वाले राजमार्गों को सम (Even) संख्या दी जाती है।
- पूर्व से पश्चिम जाने वाले राजमार्गों को विषम (Odd) संख्या दी जाती है।
- इसके अलावा, छोटे शाखा मार्गों को उप-मार्ग के रूप में चिन्हित किया जाता है। उदाहरण के लिए, यदि NH-44 से एक छोटा शाखा मार्ग निकलता है, तो उसे NH-44A या NH-44B कहा जा सकता है।
राष्ट्रीय राजमार्गों की देखरेख
राष्ट्रीय राजमार्गों का निर्माण और देखरेख मुख्य रूप से राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) और MoRTH द्वारा किया जाता है। इन सड़कों के रखरखाव के लिए टोल भी लगाया जाता है, ताकि सड़कों की गुणवत्ता और सेवाएं बनी रहें।
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग और ‘भारतमाला परियोजना’
2017 में, भारतीय सरकार ने भारतमाला परियोजना की शुरुआत की, जो देश के राजमार्गों को और उन्नत और विस्तारित करने की एक महत्वाकांक्षी योजना है। इस परियोजना का उद्देश्य विशेष रूप से सीमा क्षेत्रों, आर्थिक गलियारों, बंदरगाहों, और औद्योगिक क्षेत्रों को जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्गों का विकास करना है।
यातायात और सुरक्षा
भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों पर भारी यातायात देखा जाता है। इसे ध्यान में रखते हुए सड़क सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए कई उपाय किए गए हैं। बेहतर सड़क इंजीनियरिंग, टोल प्लाज़ा पर फास्टैग सिस्टम, और राजमार्गों पर पुलिस और आपातकालीन सेवाओं की उपलब्धता को बढ़ाया गया है।
राष्ट्रीय राजमार्गों की चुनौतियाँ
हालांकि भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों का नेटवर्क लगातार बढ़ रहा है, लेकिन कुछ प्रमुख चुनौतियाँ भी हैं:
- यातायात भीड़: कई राजमार्गों पर अत्यधिक ट्रैफिक होने से भीड़भाड़ की समस्या होती है।
- सड़क दुर्घटनाएं: भारत में सड़क दुर्घटनाओं का दर उच्च है, जिसमें राष्ट्रीय राजमार्गों पर होने वाली दुर्घटनाएं भी शामिल हैं।
- प्रकृति और मौसम: बाढ़, भूस्खलन, और अन्य प्राकृतिक आपदाओं से सड़कों को नुकसान पहुंच सकता है।
निष्कर्ष
भारत के राष्ट्रीय राजमार्ग न केवल देश की आर्थिक समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि देश की संस्कृति, व्यापार और सामाजिक एकता को भी जोड़ते हैं। सरकार की विभिन्न योजनाएं, जैसे कि NHDP और भारतमाला परियोजना, इन सड़कों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। इन सड़कों के विस्तार और सुधार से भारत का भविष्य और भी उज्जवल दिखाई देता है।