11 नवंबर 1918 को हुए युद्धविराम (Armistice) ने प्रथम विश्व युद्ध के भीषण संघर्ष को समाप्त कर दिया। यह समझौता फ्रांस के कम्पिएन के पास ले फ्रांसपोर्ट में हस्ताक्षरित हुआ था। इस समझौते से जमीनी, समुद्री और हवाई युद्ध समाप्त हो गया। यह युद्धविराम मित्र राष्ट्रों (Entente) और जर्मनी के बीच हुआ, जो युद्ध में मित्र राष्ट्रों का आखिरी प्रतिद्वंद्वी था। इससे पहले बुल्गारिया, ऑटोमन साम्राज्य और ऑस्ट्रिया-हंगरी ने अलग-अलग समय पर युद्धविराम किया था।
युद्धविराम की पृष्ठभूमि
- जर्मनी की बिगड़ती स्थिति – 1918 के अगस्त में हुए अमीन्स की लड़ाई के बाद जर्मनी के हालात तेजी से बिगड़ने लगे। मित्र राष्ट्रों ने हंड्रेड डेज़ ऑफेंसिव शुरू किया, जिसमें जर्मन सेना को पीछे हटने और अपनी स्थिति कमजोर करने पर मजबूर होना पड़ा। पश्चिमी मोर्चे पर जर्मनी को लगातार हार का सामना करना पड़ा, और सेना का मनोबल गिरता गया। इसके साथ ही, ऑटोमन साम्राज्य और ऑस्ट्रिया-हंगरी जैसी धुरी शक्तियां भी कमजोर पड़ने लगीं। 29 सितंबर 1918 को बुल्गारिया ने भी आत्मसमर्पण कर दिया, जिससे दक्षिणी यूरोप से जर्मनी के लिए खतरा और बढ़ गया।
- देश के अंदर स्थिति – जर्मनी में भी हालात बद से बदतर हो रहे थे। भोजन की कमी और मित्र राष्ट्रों की समुद्री नाकाबंदी से जनता त्रस्त थी। स्पेनिश फ्लू ने भी सेना और जनता को बुरी तरह प्रभावित किया। इन हालात में, जर्मनी के भीतर विद्रोह और असंतोष फैलने लगा।
- शांति वार्ता की शुरुआत – सितंबर 1918 के अंत तक जर्मनी की सैन्य स्थिति कमजोर हो चुकी थी। 29 सितंबर 1918 को जर्मनी के जनरल लुडेनडॉर्फ ने सम्राट विल्हेम द्वितीय को सूचित किया कि युद्ध जारी रखना अब असंभव है। उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति वुडरो विल्सन से 14 सूत्रीय योजना (Fourteen Points) के आधार पर शांति वार्ता शुरू करने का अनुरोध किया। जर्मनी को उम्मीद थी कि इससे उन्हें बेहतर शर्तों पर संधि करने का मौका मिलेगा।
- नए चांसलर की नियुक्ति – 3 अक्टूबर 1918 को प्रिंस मैक्सिमिलियन ऑफ बाडेन को जर्मनी का नया चांसलर नियुक्त किया गया। उन्होंने शांति वार्ता की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया। लेकिन विल्सन ने यह स्पष्ट कर दिया कि जर्मनी को सभी कब्जे वाले क्षेत्रों को खाली करना होगा और सम्राट को सत्ता छोड़नी होगी।
- क्रांति और युद्धविराम पर हस्ताक्षर – अक्टूबर के अंत तक जर्मनी में क्रांति शुरू हो चुकी थी। मुतिनी और श्रमिक विद्रोह ने जर्मनी के कई प्रमुख शहरों में नियंत्रण कर लिया। 9 नवंबर 1918 को चांसलर प्रिंस मैक्स ने घोषणा की कि सम्राट विल्हेम ने abdicate (सिंहासन छोड़ दिया) कर दिया है। उसी दिन जर्मनी को गणराज्य घोषित किया गया, और फ्रेडरिक एबर्ट को नई सरकार का प्रमुख बनाया गया।
- युद्धविराम की शर्तें – 11 नवंबर 1918 को, जर्मनी के प्रतिनिधि मैथियस एरज़बर्गर ने मित्र राष्ट्रों के सुप्रीम कमांडर मार्शल फर्डिनेंड फोश के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए। यह समझौता सुबह 5:45 बजे हुआ और इसे उसी दिन 11:00 बजे लागू किया गया।
प्रथम विश्व युद्ध विराम के तहत
- जर्मनी को पश्चिमी मोर्चे पर सभी सैन्य गतिविधियाँ रोकनी पड़ीं।
- राइन नदी के पश्चिमी क्षेत्र को खाली करना और मित्र राष्ट्रों को कब्जा सौंपना पड़ा।
- अपने युद्धक विमान, जहाज और अन्य सैन्य सामग्री सौंपनी पड़ी।
- मित्र देशों के युद्ध बंदियों को रिहा करना पड़ा।
- हालांकि, जर्मनी के युद्ध बंदियों को रिहा नहीं किया गया और जर्मनी पर लगी समुद्री नाकाबंदी जारी रही।
युद्ध का अंतिम दिन
युद्धविराम से पहले की सुबह तक लड़ाई जारी रही। 11 नवंबर 1918 को युद्ध के अंतिम दिन, 2,738 सैनिकों की मौत हो गई। कई सैनिक उस समय मारे गए जब वे हमले की स्थिति में थे या आदेशों का पालन कर रहे थे, भले ही युद्धविराम के बारे में जानकारी आ चुकी थी।
प्रमुख घटनाएँ
- अगस्टिन ट्रेबुशोन, अंतिम फ्रांसीसी सैनिक, अपने साथियों को सूचना देने के दौरान मारे गए।
- हेनरी गुनथर, अंतिम अमेरिकी सैनिक, 10:59 बजे मारे गए।
- अंतिम ब्रिटिश और कनाडाई सैनिक भी इस दिन मारे गए, जब वे लड़ाई के अंतिम पलों में शामिल थे।
प्रथम विश्व युद्ध विराम के बाद का समय
- राइन क्षेत्र पर कब्जा
- युद्धविराम के बाद, मित्र राष्ट्रों ने राइन क्षेत्र पर कब्जा कर लिया। इसमें अमेरिकी, फ्रांसीसी, ब्रिटिश और बेल्जियम की सेनाएँ शामिल थीं।
वर्साय की संधि
युद्धविराम केवल अस्थायी समाधान था। अगले कुछ महीनों में इस समझौते को कई बार बढ़ाया गया। 28 जून 1919 को वर्साय की संधि पर हस्ताक्षर हुए, जिसने औपचारिक रूप से युद्ध समाप्त किया। यह संधि 10 जनवरी 1920 को प्रभाव में आई।
युद्धविराम की विरासत
युद्धविराम को युद्ध की समाप्ति के प्रतीक के रूप में हर साल 11 नवंबर को याद किया जाता है। इसे अलग-अलग देशों में युद्धविराम दिवस (Armistice Day), स्मरण दिवस (Remembrance Day), या वीर दिवस (Veterans Day) के रूप में मनाया जाता है।
स्टैब-इन-द-बैक मिथक
हालांकि, जर्मनी के सैन्य नेताओं ने बाद में यह प्रचारित किया कि उनकी सेना को युद्ध के मैदान में नहीं, बल्कि राजनीतिक विश्वासघात के कारण हार का सामना करना पड़ा। इसे स्टैब-इन-द-बैक मिथक के रूप में जाना गया, जिसने जर्मनी के राजनीतिक माहौल को अस्थिर किया और वीमर गणराज्य को कमजोर किया।
निष्कर्ष
11 नवंबर 1918 का युद्धविराम प्रथम विश्व युद्ध का निर्णायक अंत था। इसने चार वर्षों के भयानक संघर्ष और अकल्पनीय क्षति के बाद दुनिया को थोड़ी शांति दी। हालांकि, इसकी शर्तें और इसके प्रभावों ने जर्मनी और पूरी दुनिया पर गहरा प्रभाव छोड़ा, जिसने बाद के वर्षों में दूसरे विश्व युद्ध का मार्ग प्रशस्त किया।
FAQs
प्रश्न 1: युद्धविराम का समय 11:00 बजे ही क्यों रखा गया?
उत्तर: 11 नवंबर को सुबह 11:00 बजे युद्धविराम लागू हुआ, जिसे “ग्यारहवें घंटे का युद्धविराम” कहा जाता है। यह प्रतीकात्मक समय मित्र राष्ट्रों द्वारा चुना गया था ताकि यह एक ऐतिहासिक और यादगार घटना बने।
प्रश्न 2: युद्धविराम और वर्साय की संधि में क्या अंतर है?
उत्तर: युद्धविराम एक अस्थायी समझौता था जिसने लड़ाई को रोका, जबकि वर्साय की संधि ने युद्ध को आधिकारिक रूप से समाप्त किया और जर्मनी पर कठोर शर्तें लगाईं।
प्रश्न 3: क्या युद्धविराम के बाद भी लड़ाई जारी रही?
उत्तर: तकनीकी रूप से नहीं, लेकिन युद्धविराम से पहले के घंटों में संघर्ष जारी रहा। 11 नवंबर 1918 को कई सैनिक आखिरी मिनट तक मारे गए।
प्रश्न 4: जर्मनी ने युद्धविराम क्यों स्वीकार किया?
उत्तर: जर्मनी के पास कोई विकल्प नहीं था। देश के अंदर खाद्य संकट, सैनिकों की कमी, और राजनीतिक अस्थिरता ने जर्मनी को आत्मसमर्पण के लिए मजबूर किया।
प्रश्न 5: युद्धविराम का जश्न कैसे मनाया जाता है?
उत्तर: युद्धविराम के दिन को कई देशों में स्मरण दिवस (Remembrance Day) या वेटरन्स डे (Veterans Day) के रूप में मनाया जाता है। इस दिन सैनिकों के बलिदान को याद किया जाता है।