गुरु नानक गुरुपुरब , जिसे गुरु नानक प्रकाश उत्सव भी कहा जाता है, सिख धर्म के संस्थापक और पहले गुरु, गुरु नानक देव जी के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। सिख धर्म के 10 गुरुओं की जयंती, जिन्हें गुरुपुरब कहा जाता है, सिख समुदाय के लिए विशेष महत्व रखती है।
यह सिख धर्म के सबसे पवित्र और प्रमुख पर्वों में से एक है। सिख समुदाय के लिए यह दिन विशेष धार्मिक महत्व रखता है और इसे विश्वभर में श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है।
इतिहास और पृष्ठभूमि
गुरु नानक देव जी का जन्म 1469 में कार्तिक पूर्णिमा के दिन राय भोई दी तलवंडी (जो अब ननकाना साहिब, पाकिस्तान में है) में हुआ था। भारतीय पंचांग के अनुसार यह दिन कार्तिक महीने की पूर्णिमा को पड़ता है। भारत में इसे राजपत्रित अवकाश के रूप में मनाया जाता है।
हालांकि, कुछ विद्वानों का मत है कि गुरु नानक देव जी का जन्म वैसाखी के दिन हुआ था। फिर भी पारंपरिक रूप से यह उत्सव कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही मनाया जाता है। नानकशाही कैलेंडर के अनुसार यह तिथि ग्रेगोरियन कैलेंडर से मेल खाती है, लेकिन सौर और चंद्र कैलेंडर के बीच के समय के अंतर के कारण यह हर साल बदलती रहती है।
महत्व
गुरु नानक देव जी ने समाज को समानता, सेवा और सत्य के मार्ग पर चलने का उपदेश दिया। उन्होंने यह सिखाया कि सभी मनुष्यों के लिए ईश्वर तक पहुंचने का मार्ग खुला है, बशर्ते उनकी आत्मा पवित्र हो। उनके उपदेश गुरु ग्रंथ साहिब में संकलित हैं, जो सिख धर्म का पवित्र ग्रंथ है।
गुरु नानक जी ने सिख धर्म के मूल सिद्धांतों की स्थापना की और उन्होंने यह सिखाया कि प्रत्येक व्यक्ति अपने साफ़ मन और ईमानदारी से ईश्वर से जुड़ सकता है।
उत्सव का स्वरूप
गुरुपुरब के उत्सव की शुरुआत प्रभात फेरियों से होती है। ये प्रातःकालीन जुलूस होते हैं, जहां भक्त गुरुद्वारों से निकलकर आस-पास के क्षेत्रों में कीर्तन करते हुए ईश्वर की महिमा गाते हैं।
गुरुपुरब से दो दिन पहले गुरुद्वारों में अखंड पाठ का आयोजन होता है। इस दौरान गुरु ग्रंथ साहिब का 48 घंटे तक बिना रुके पाठ किया जाता है।
जन्मदिन से एक दिन पहले नगर कीर्तन निकाला जाता है। इस जुलूस का नेतृत्व पांच प्यारों (पंज प्यारे) द्वारा किया जाता है, जो निशान साहिब (सिख ध्वज) और गुरु ग्रंथ साहिब की पालकी लेकर चलते हैं। कीर्तन मंडलियां, बैंड, और गतका (पारंपरिक सिख युद्ध कला) के प्रदर्शन इस जुलूस का हिस्सा होते हैं। जुलूस के मार्ग को झंडों और फूलों से सजाया जाता है।
रात को विशेष प्रार्थना और कीर्तन होते हैं। गुरु नानक देव जी का जन्म समय, जो रात 1:20 बजे माना जाता है, उस समय भक्त विशेष रूप से गुरबानी का पाठ करते हैं। उत्सव का समापन देर रात 2 बजे होता है।
निष्कर्ष
गुरु नानक गुरुपुरब न केवल सिख धर्म का एक धार्मिक पर्व है, बल्कि यह सेवा, भक्ति और समानता का संदेश भी देता है। यह पर्व पूरी दुनिया में सिख समुदाय द्वारा उल्लास और भक्ति भाव के साथ मनाया जाता है। पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, और पाकिस्तान के अलावा, यह त्योहार इंग्लैंड और अन्य देशों में भी धूमधाम से मनाया जाता है।
FAQs
प्रश्न 1: गुरु नानक गुरुपुरब कब मनाया जाता है?
उत्तर: यह पर्व हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है।
प्रश्न 2: नगर कीर्तन में क्या होता है?
उत्तर: नगर कीर्तन में पंज प्यारे, कीर्तन मंडलियां, गतका प्रदर्शन, और सजावट के साथ एक धार्मिक जुलूस निकाला जाता है।
प्रश्न 3: लंगर का क्या महत्व है?
उत्तर: लंगर का उद्देश्य समाज में समानता और सेवा की भावना को बढ़ावा देना है। इसमें सभी लोग बिना किसी भेदभाव के एक साथ भोजन करते हैं।
प्रश्न 4: क्या गुरुपुरब केवल भारत में मनाया जाता है?
उत्तर: नहीं, यह पर्व विश्वभर में सिख समुदाय द्वारा बड़े धूमधाम से मनाया जाता है, विशेष रूप से इंग्लैंड, कनाडा, अमेरिका, और पाकिस्तान में।
प्रश्न 5: इस दिन क्या गतिविधियां होती हैं?
उत्तर: प्रभात फेरी, अखंड पाठ, नगर कीर्तन, लंगर, और रात के कीर्तन जैसे कई धार्मिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं।
Also Read:
- झारखंड स्थापना दिवस 2024: इतिहास, संस्कृति और राजनीति
- बाल दिवस 2024 की शुभकामनाएं: इतिहास, महत्व और जागरूकता