एल नीनो और ला नीना प्रशांत महासागर के भूमध्यरेखीय क्षेत्र में समुद्र सतह के तापमान में बदलाव के कारण उत्पन्न जटिल मौसमीय पैटर्न हैं। ये दोनों एल नीनो-दक्षिणी दोलन (ENSO) चक्र के विपरीत चरण हैं। ENSO चक्र महासागर और वायुमंडल के बीच तापमान के उतार-चढ़ाव को परिभाषित करता है। आमतौर पर, एल नीनो और ला नीना 9 से 12 महीने तक चलते हैं, लेकिन कुछ घटनाएं वर्षों तक जारी रह सकती हैं।

ये दोनों ही घटनाएं महासागर के सतह जल के तापमान में बदलाव के कारण होती हैं और विश्व के विभिन्न हिस्सों में सूखा, बाढ़, और चक्रवात जैसी चरम जलवायु घटनाओं को जन्म देती हैं। आइए इन दोनों घटनाओं को विस्तार से समझते हैं।

एल नीनो (El Niño): एक गर्म घटनाक्रम

परिभाषा और उत्पत्ति

एल नीनो एक ऐसी स्थिति है, जिसमें प्रशांत महासागर के मध्य और पूर्वी भाग में समुद्र की सतह का तापमान सामान्य से अधिक हो जाता है। यह स्थिति मुख्यतः भूमध्य रेखा के आसपास के क्षेत्रों में होती है। “एल नीनो” का अर्थ स्पैनिश भाषा में “छोटा लड़का” है और इसे यीशु मसीह के संदर्भ में नाम दिया गया था क्योंकि यह घटना आमतौर पर क्रिसमस के आसपास होती है।

एल नीनो का नाम पेरू के मछुआरों ने दिया, जिन्होंने तट पर गर्म पानी की असामान्य उपस्थिति को पहली बार पहचाना। यह “गर्म चरण” है और ENSO का एक भाग है।

प्रभाव

एल नीनो के कारण समुद्र और वायुमंडल के बीच ऊर्जा और नमी का संतुलन बिगड़ जाता है। इसके परिणामस्वरूप:

  • दक्षिण अमेरिका के पश्चिमी तट पर भारी बारिश और बाढ़ होती है।
  • उत्तरी अमेरिका के कुछ हिस्सों में हल्की सर्दी और अधिक बारिश होती है।
  • मछली पालन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, क्योंकि समुद्री जीवन के लिए पोषण तत्व कम हो जाते हैं।
  • बाढ़ और सूखे के कारण मलेरिया, डेंगू और हैजा जैसी बीमारियों में वृद्धि।

दक्षिण अमेरिका: दक्षिण अमेरिका में भारी वर्षा होती है, जबकि इंडोनेशिया और ऑस्ट्रेलिया में सूखा पड़ता है।

सकारात्मक प्रभाव: अटलांटिक में तूफानों की घटनाओं में कमी।

कारण

एल नीनो तब होता है जब ट्रेड विंड्स (पूर्वी से पश्चिमी दिशा में चलने वाली हवाएं) कमजोर पड़ जाती हैं या उल्टी दिशा में चलने लगती हैं। इसके कारण गर्म पानी पूर्वी प्रशांत क्षेत्र में एकत्रित हो जाता है।

मुख्य विशेषताएं:

  • पूर्वी उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर के सतह जल के असामान्य गर्म होने का वर्णन करता है।
  • यह अनियमित रूप से हर 2 से 7 वर्षों में प्रकट होता है और पूर्वानुमान योग्य नहीं है।
  • यह आमतौर पर उत्तरी गोलार्ध के सर्दियों में अपने चरम पर होता है।

महत्वपूर्ण घटनाएं:

  • 1982-83 और 1997-98 की एल नीनो घटनाएं 20वीं सदी की सबसे तीव्र घटनाएं थीं।
  • 1997-98 की घटना को वैज्ञानिक रूप से पहली बार शुरुआत से अंत तक ट्रैक किया गया था।

ला नीना (La Niña): एक ठंडी घटनाक्रम

परिभाषा और उत्पत्ति

ला नीना, एल नीनो के विपरीत घटना है, जिसमें प्रशांत महासागर के मध्य और पूर्वी भाग में समुद्र की सतह का तापमान सामान्य से कम हो जाता है। यह घटना अक्सर एल नीनो के बाद होती है।

स्पेनिश में “ला नीना” का अर्थ है “छोटी लड़की”।

इसे “एल विएजो” (पुराना लड़का), “एंटी-एल नीनो” या “कोल्ड इवेंट” भी कहा जाता है।

प्रभाव

ला नीना के कारण मौसम अधिक चरम हो सकता है:

  • भारत और दक्षिण एशिया में मानसून सक्रिय रहता है, जिससे सामान्य से अधिक बारिश होती है।
  • अमेरिका के दक्षिणी भाग में सूखा और उत्तरी भाग में सर्दी कड़ी हो जाती है।
  • ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण-पूर्व एशिया में बाढ़ का खतरा बढ़ जाता है।
  • समुद्री जीवन के लिए यह अधिक अनुकूल हो सकता है क्योंकि ठंडा पानी पोषक तत्वों से भरपूर होता है।

कारण

ला नीना तब होती है जब ट्रेड विंड्स और तेज़ हो जाती हैं, जिससे ठंडा पानी समुद्र की सतह पर आ जाता है। यह ठंडा पानी दक्षिण अमेरिका के तट से लेकर पश्चिमी प्रशांत तक फैल जाता है।

मुख्य विशेषताएं:

  • पूर्वी उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह का तापमान सामान्य से कम हो जाता है।
  • इसे तब पहचाना जाता है जब तापमान कम से कम पांच लगातार तीन महीने की अवधियों के लिए 0.9°F से अधिक कम हो।
  • यह ENSO का “शीतल चरण” है।

उत्तरी अमेरिका:

  • अमेरिका में अधिक बवंडर।
  • कैरिबियन और मध्य अटलांटिक में तूफानों के लिए अनुकूल परिस्थितियां।
  • यूरोप: उत्तरी यूरोप में हल्की सर्दी और दक्षिणी यूरोप में ठंड और बर्फबारी।

महत्वपूर्ण घटनाएं:

2010 की ला नीना घटना ने ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड में विनाशकारी बाढ़ का कारण बना।

एल नीनो और ला नीना के बीच अंतर

विशेषताएंएल नीनोला नीना
तापमानसमुद्र की सतह का तापमान अधिकसमुद्र की सतह का तापमान कम
प्रभावसूखा, गर्मी और कम मानसूनअधिक वर्षा, बाढ़ और ठंडी परिस्थितियां
ट्रेड विंड्सकमजोर या उल्टी दिशा मेंतेज़ और सामान्य दिशा में

भारत और ENSO

  • एल नीनो का प्रभाव:
    • भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया में कमजोर मानसून और सूखे की स्थिति उत्पन्न करता है।
    • कृषि और उद्योग पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
  • ला नीना का प्रभाव:
    • उत्तर-पश्चिम भारत और बांग्लादेश में सामान्य से अधिक बारिश होती है।
    • सर्दियां सामान्य से अधिक ठंडी होती हैं।
    • ला नीना के दौरान, साइबेरिया और दक्षिण चीन से ठंडी हवाएं भारत में प्रवेश करती हैं।

ENSO की निगरानी और मापन

  • प्रौद्योगिकी और उपकरण:
    • वैज्ञानिक, सरकारें, और एनजीओ एल नीनो और ला नीना की निगरानी के लिए बॉय (buoys) का उपयोग करते हैं।
    • ये बॉय समुद्र और वायु के तापमान, धाराओं, हवा, और आर्द्रता को मापते हैं।
  • ओशियनिक नीनो इंडेक्स (ONI):
    • यह पूर्व-मध्य प्रशांत महासागर में सामान्य समुद्र सतह तापमान से विचलन को मापता है।
    • कमजोर और तीव्र एल नीनो घटनाओं का आकलन इसके आधार पर किया जाता है।

वैश्विक प्रभाव

एल नीनो और ला नीना केवल प्रशांत महासागर तक सीमित नहीं हैं; इनका प्रभाव वैश्विक स्तर पर होता है:

  • कृषि: इन घटनाओं के कारण फसलों की पैदावार पर असर पड़ता है। एल नीनो के दौरान सूखा और ला नीना के दौरान बाढ़ फसलों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
  • मछली पालन: समुद्र के तापमान में बदलाव मछलियों की प्रजातियों और उनकी संख्या पर प्रभाव डालता है।
  • आपदाएं: बाढ़, सूखा और चक्रवात जैसी आपदाएं अधिक बार हो सकती हैं।
  • स्वास्थ्य: इन घटनाओं के कारण मलेरिया और डेंगू जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है।

निष्कर्ष

एल नीनो और ला नीना जलवायु में असामान्यता के सबसे महत्वपूर्ण उदाहरण हैं। ये घटनाएं प्राकृतिक चक्र का हिस्सा हैं, लेकिन इनका अध्ययन और सही समय पर भविष्यवाणी करना अत्यंत आवश्यक है। जलवायु परिवर्तन के कारण इन घटनाओं की तीव्रता और आवृत्ति बढ़ सकती है, जिससे उनकी समझ और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। सही प्रबंधन और तैयारी के माध्यम से इन घटनाओं के प्रभाव को कम किया जा सकता है।

FAQs 

1. एल नीनो और ला नीना क्या हैं?
एल नीनो और ला नीना ENSO चक्र के दो चरण हैं, जो प्रशांत महासागर के तापमान में उतार-चढ़ाव से जुड़े हैं। एल नीनो महासागर के गर्म होने और ला नीना ठंडे होने का संकेत देता है।

2. ENSO का पूरा रूप क्या है?
ENSO का पूरा रूप “El Niño-Southern Oscillation” है।

3. एल नीनो और ला नीना कब होते हैं?
ये घटनाएं हर 2-7 वर्षों में अनियमित रूप से होती हैं और आमतौर पर उत्तरी गोलार्ध के सर्दियों में अपने चरम पर होती हैं।

4. क्या एल नीनो और ला नीना भारत के मानसून को प्रभावित करते हैं?
हां, एल नीनो कमजोर मानसून और सूखा लाता है, जबकि ला नीना मानसून को सामान्य से अधिक मजबूत बनाता है।

5. ENSO की निगरानी कैसे की जाती है?
ENSO की निगरानी समुद्री बॉय, सैटेलाइट्स, और ओशियनिक नीनो इंडेक्स (ONI) के माध्यम से की जाती है।

6. एल नीनो का वैश्विक प्रभाव क्या है?
एल नीनो दक्षिण अमेरिका में बाढ़, एशिया में सूखा, और अटलांटिक में तूफानों की घटनाओं में कमी लाता है।

7. ला नीना का सकारात्मक प्रभाव क्या है?
ला नीना दक्षिण अमेरिका में मत्स्य उद्योग के लिए अनुकूल परिस्थितियां बनाता है और भारत में मजबूत मानसून लाता है।

8. ENSO चक्र का जलवायु परिवर्तन से क्या संबंध है?
जलवायु परिवर्तन ENSO चक्र की तीव्रता और आवृत्ति को प्रभावित कर सकता है, जिससे इसके प्रभाव अधिक गंभीर हो सकते हैं।

Also Read:
Download Khan Global Studies App for Study all Competitive Exams
Download Khan Global Studies App for Study all Competitive Exams
Shares:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *