हर वर्ष 22 अप्रैल को मनाया जाने वाला पृथ्वी दिवस एक अंतरराष्ट्रीय आयोजन है, जिसका मुख्य उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण और पृथ्वी के प्रति मानव जाति की जिम्मेदारी को जागरूक बनाना है। यह दिन दुनिया भर में लोगों को पृथ्वी और उसके पर्यावरण की रक्षा के लिए प्रेरित करता है।
इतिहास और उत्पत्ति
पृथ्वी दिवस की शुरुआत 1970 में अमेरिका से हुई थी, जब सेनेटर गेइलॉर्ड नेल्सन और पर्यावरण कार्यकर्ता डेनिस हेज़ ने पहली बार इसका आयोजन किया। इसका उद्देश्य अमेरिका में पर्यावरणीय संकट और औद्योगिकीकरण से हो रहे प्रदूषण पर ध्यान आकर्षित करना था।
हालांकि, इससे पहले भी 1969 में जॉन मैककोनेल नामक शांति कार्यकर्ता ने 21 मार्च (वसंत विषुव) को पृथ्वी दिवस मनाने का प्रस्ताव दिया था, जिसे संयुक्त राष्ट्र महासचिव यू थांट ने समर्थन दिया था।
वैश्विक स्तर पर विस्तार
1990 में पृथ्वी दिवस को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली। इस वर्ष 141 देशों में लगभग 200 मिलियन लोगों ने इसमें भाग लिया। यह आयोजन 1992 के रियो डी जेनेरियो पृथ्वी सम्मेलन (Earth Summit) की नींव बना।
2000 से लेकर अब तक पृथ्वी दिवस पर कई बड़े अभियान चलाए गए हैं, जिनमें क्लाइमेट एक्शन, प्लास्टिक प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई, और हरित ऊर्जा का प्रचार प्रमुख हैं।
हाल की उपलब्धियाँ
2016: इसी दिन 175 से अधिक देशों ने पेरिस जलवायु समझौते पर हस्ताक्षर किए, जो जलवायु परिवर्तन से निपटने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम था।
2020: पृथ्वी दिवस की 50वीं वर्षगांठ पर महामारी के बावजूद 100 मिलियन से अधिक लोगों ने वर्चुअल कार्यक्रमों में भाग लिया, जो अब तक का सबसे बड़ा डिजिटल पर्यावरण कार्यक्रम बना।
2024: पृथ्वी दिवस नेटवर्क ने “प्लैनेट बनाम प्लास्टिक” अभियान चलाया, जिसका लक्ष्य 2040 तक प्लास्टिक के उपयोग में 60% की कटौती करना है।
भारत में पृथ्वी दिवस
भारत में पृथ्वी दिवस पर कई संस्थाएँ, स्कूल, कॉलेज और पर्यावरण प्रेमी संगठन विभिन्न गतिविधियाँ आयोजित करते हैं:
- वृक्षारोपण अभियान
- प्लास्टिक मुक्त रैलियाँ
- पर्यावरण जागरूकता शिविर
- स्कूली प्रतियोगिताएँ (निबंध, पोस्टर, भाषण आदि)
बढ़ते प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन को देखते हुए भारत में इस दिवस का महत्व और भी अधिक बढ़ गया है।
पृथ्वी दिवस क्यों जरूरी है?
- बढ़ता वातावरणीय प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता की कमी।
- ग्लोबल वार्मिंग और समुद्र स्तर में वृद्धि।
- प्राकृतिक संसाधनों की अत्यधिक खपत और जंगलों की कटाई।
- समुद्रों और नदियों में प्लास्टिक और रसायनों से प्रदूषण।
इन सब समस्याओं से निपटने के लिए, यह दिन लोगों को जिम्मेदारी और समाधान की ओर जागरूक करता है।
क्या कर सकते हैं हम?
- प्लास्टिक का उपयोग कम करें।
- अधिक से अधिक पेड़ लगाएँ।
- ऊर्जा की बचत करें – सौर ऊर्जा अपनाएँ।
- वर्षा जल संचयन और जल संरक्षण करें।
- जैविक और टिकाऊ उत्पादों का उपयोग करें।
निष्कर्ष
यह केवल एक प्रतीकात्मक दिन नहीं है, बल्कि यह हमारी जिम्मेदारी और प्रतिबद्धता का प्रतीक है। यह हमें याद दिलाता है कि पृथ्वी हमारी माता है और इसका संरक्षण हमारा कर्तव्य है। आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वस्थ और हरा-भरा ग्रह छोड़ने के लिए हमें आज ही कदम उठाने होंगे।
आइए इस पृथ्वी दिवस पर हम सब एकजुट होकर एक हरित और स्वच्छ भविष्य की दिशा में संकल्प लें।