हाल ही में एक नई धोखाधड़ी स्कैम सामने आई है जिसे “डिजिटल गिरफ्तारी घोटाला” कहा जा रहा है। इस स्कैम में ठग नकली सरकारी अधिकारियों के रूप में खुद को पेश कर लोगों और व्यवसायों से करोड़ों रुपये लूट रहे हैं। इस धोखाधड़ी के चलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनता को सतर्क रहने और ऐसे किसी भी मामले को साइबर हेल्पलाइन पर रिपोर्ट करने की सलाह दी है। भारतीय कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम (CERT-In) ने भी इस तरह के स्कैम को पहचानने और उससे बचने के तरीकों पर मार्गदर्शन दिया है।

डिजिटल गिरफ्तारी घोटाला क्या है?

डिजिटल गिरफ्तारी घोटाला एक ऑनलाइन धोखाधड़ी है जिसमें अपराधी किसी व्यक्ति को गलत मामलों में फंसाने और उनके नाम से पैसे ऐंठने का प्रयास करते हैं। इस स्कैम में ठग अपने शिकार को गैरकानूनी गतिविधियों का दोषी ठहराकर डराते हैं और फिर उनसे पैसे की मांग करते हैं। ऐसे मामलों में लोग आर्थिक हानि के साथ-साथ अपनी पहचान चोरी के खतरे का भी सामना करते हैं।

डिजिटल गिरफ्तारी घोटाला कैसे काम करता है?

इस स्कैम में ठग खुद को सीबीआई, इनकम टैक्स अधिकारी या कस्टम एजेंट के रूप में पेश करते हैं और इस प्रकार की प्रक्रिया अपनाते हैं:

  • पहला संपर्क: ठग किसी व्यक्ति को कॉल करते हैं और अपना परिचय एक सरकारी अधिकारी के रूप में देते हैं। इस कॉल में नकली अधिकारी का नाम और रैंक बताया जाता है, जिससे पीड़ित को झांसा दिया जा सके।
  • वीडियो कॉल पर स्विच करना: ठग पीड़ित से WhatsApp या Skype जैसे प्लेटफार्म पर वीडियो कॉल करने का आग्रह करते हैं। इस कॉल के दौरान वे नकली वर्दी और पुलिस स्टेशन जैसा सेटअप दिखाते हैं ताकि पीड़ित को लगे कि कॉल असली है।
  • नकली गिरफ्तारी वारंट का प्रयोग: ठग पीड़ित को डिजिटल गिरफ्तारी वारंट का हवाला देते हैं और उन पर टैक्स चोरी या अन्य कानूनी मामलों का आरोप लगाते हैं।
  • पैसे की मांग: ठग पीड़ित से “नाम साफ़ करने” या “रिफंडेबल सिक्योरिटी डिपॉज़िट” के नाम पर एक विशेष बैंक अकाउंट या UPI ID पर पैसा ट्रांसफर करने का दबाव डालते हैं। अधिकतर मामलों में वे इसे आपातकालीन स्थिति बनाकर पेश करते हैं ताकि पीड़ित तुरंत पैसे भेजे।
  • गायब हो जाना: एक बार पैसा ट्रांसफर हो जाने के बाद, ठग गायब हो जाते हैं और पीड़ित को आर्थिक हानि उठानी पड़ती है।

डिजिटल गिरफ्तारी घोटाला से खुद को कैसे बचाएं?

Digital गिरफ्तारी घोटाला से बचने का सबसे महत्वपूर्ण तरीका है सतर्क रहना। यहाँ कुछ उपाय दिए गए हैं जो आपको इस स्कैम से बचा सकते हैं:

  1. संदिग्ध व्यवहार को पहचानें: ऐसे कॉल्स से सावधान रहें जो खुद को सरकारी अधिकारी बताकर पैसों की मांग करते हैं। वास्तविक सरकारी अधिकारी कभी भी फोन पर सीधे पैसों की मांग नहीं करते।
  2. दबाव में ना आएं: स्कैमर्स अक्सर ऐसे हालात पैदा करते हैं कि पीड़ित को डर का सामना करना पड़े। यदि आपको किसी कॉल में डराया जा रहा है तो घबराएं नहीं और पहले स्थिति को समझें।
  3. कॉलर की पहचान की पुष्टि करें: यदि किसी कॉल पर संदेह हो, तो संबंधित एजेंसी से संपर्क कर उनकी पहचान की पुष्टि करें। यह कदम आपको धोखाधड़ी से बचा सकता है।
  4. संवेदनशील जानकारी साझा न करें: फोन या वीडियो कॉल पर किसी से अपनी व्यक्तिगत या वित्तीय जानकारी साझा न करें, खासकर अज्ञात नंबरों पर। सरकारी एजेंसियां ऐसी जानकारी कभी मांगती नहीं हैं।
  5. संदेहास्पद गतिविधि की तुरंत रिपोर्ट करें: यदि आपको लगता है कि आपको स्कैम का निशाना बनाया जा रहा है, तो स्थानीय पुलिस या साइबर क्राइम अधिकारियों को तुरंत इसकी जानकारी दें।

डिजिटल गिरफ्तारी घोटाला का शिकार होने पर क्या करें?

यदि आप इस स्कैम का शिकार हो गए हैं, तो निम्नलिखित कदम तुरंत उठाएँ:

  • अपने बैंक को सूचित करें और अकाउंट को फ्रीज़ करें: सबसे पहले अपने बैंक को सूचित करें ताकि कोई और धोखाधड़ी से बचा जा सके।
  • साइबरक्राइम शिकायत दर्ज करें: नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (cybercrime.gov.in) पर जाकर अपनी शिकायत दर्ज करें और जितना हो सके उतना सबूत जमा करें।
  • सभी दस्तावेज़ और सबूत संभाल कर रखें: कॉल डिटेल्स, ट्रांजैक्शन डिटेल्स और मैसेज जैसे सबूत सुरक्षित रखें। यह भविष्य में आपके मामले की जांच में सहायक हो सकते हैं।
  • आवश्यकता पड़ने पर वकील की मदद लें: यदि आप बड़े पैमाने पर आर्थिक हानि का सामना कर रहे हैं, तो कानूनी सहायता लेना सहायक हो सकता है।

CERT-In की साइबर खतरों पर सलाह को समझना

भारत की कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम (CERT-In) ने साइबर खतरों के प्रति सूचित और सतर्क रहने पर जोर दिया है। साइबर धोखाधड़ी लगातार विकसित हो रही है, इसलिए व्यक्तियों और व्यवसायों के लिए नए स्कैम की रणनीतियों के बारे में जागरूक रहना जरूरी हो गया है।

CERT-In ने साइबर क्राइम से बचाव के लिए कुछ प्रमुख सिद्धांतों का पालन करने की सलाह दी है:

  • खुद को और दूसरों को शिक्षित करें: साइबर खतरों और बचाव के तरीकों के बारे में नियमित रूप से खुद को अपडेट रखें। परिवार और सहयोगियों के साथ यह जानकारी साझा करना सामूहिक रूप से साइबर स्कैम से सुरक्षा को मजबूत करता है।
  • ऑनलाइन सतर्कता बरतें: संदिग्ध लिंक पर क्लिक करने से बचें और ऑनलाइन संवेदनशील जानकारी साझा करने से परहेज करें, चाहे स्रोत कितना भी विश्वसनीय लगे। URLs की दोबारा जांच करें और व्यक्तिगत जानकारी मांगने वाले संदेशों पर संदेह बनाए रखें।
  • सुरक्षा उपकरणों का उपयोग करें: उपलब्ध साइबर सुरक्षा संसाधनों जैसे एंटीवायरस सॉफ़्टवेयर, फायरवॉल, और सुरक्षित भुगतान गेटवे का उपयोग करके खुद को हमलों से बचाएं।

सतर्क रहना और सावधानी बरतना जैसे कदम उठाकर आप डिजिटल गिरफ्तारी घोटाला जैसे धोखों का शिकार बनने की संभावना को काफी हद तक कम कर सकते हैं।

FAQs

प्रश्न: डिजिटल गिरफ्तारी घोटाला क्या है?
उत्तर: डिजिटल गिरफ्तारी घोटाला एक ऑनलाइन धोखाधड़ी है जिसमें अपराधी खुद को सरकारी अधिकारी बताकर लोगों से पैसे ऐंठते हैं। वे लोगों को गलत मामलों में फंसाकर डराते हैं और उनसे पैसे मांगते हैं।

प्रश्न: डिजिटल गिरफ्तारी घोटाला से बचने के लिए क्या करें?
उत्तर: इससे बचने के लिए सतर्क रहें, कॉल की पहचान सत्यापित करें, और कभी भी अपनी व्यक्तिगत जानकारी अनजान कॉलर से साझा न करें। संदिग्ध कॉल्स की तुरंत रिपोर्ट करें।

प्रश्न: स्कैम का शिकार होने पर मुझे क्या करना चाहिए?
उत्तर: यदि आप स्कैम का शिकार हो जाते हैं, तो सबसे पहले अपने बैंक को सूचित करें, साइबरक्राइम पोर्टल पर शिकायत दर्ज करें और सबूत संभाल कर रखें।

प्रश्न: क्या सरकारी एजेंसियां WhatsApp या Skype पर संपर्क करती हैं?
उत्तर: नहीं, सरकारी एजेंसियां कभी भी WhatsApp या Skype जैसी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर संपर्क नहीं करतीं। यदि आपको ऐसा कॉल आता है, तो यह संभवतः स्कैम है।

निष्कर्ष

डिजिटल गिरफ्तारी घोटाला एक बढ़ता हुआ खतरा है जिसमें ठग लोगों को डराकर उनके पैसे ठगते हैं। ऐसे मामलों से बचने के लिए सतर्क रहना, कॉल्स की पहचान की पुष्टि करना और जल्द से जल्द संबंधित एजेंसियों को सूचित करना सबसे प्रभावी कदम हैं।

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