हर साल 12 फरवरी को अमेरिका के 16वें राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन का जन्मदिन मनाया जाता है। वे न केवल अमेरिका के सबसे प्रभावशाली नेताओं में से एक थे, बल्कि उनकी विचारधारा और नीतियों ने पूरी दुनिया को प्रेरित किया। उनकी ईमानदारी, संघर्षशीलता और मानवता के प्रति उनकी निष्ठा ने उन्हें इतिहास के महानतम व्यक्तित्वों में से एक बना दिया।

प्रारंभिक जीवन और संघर्ष

अब्राहम लिंकन का जन्म 12 फरवरी 1809 को केंटकी के हार्डिन काउंटी (अब लारुए काउंटी) में एक गरीब परिवार में हुआ था। उनके माता-पिता थॉमस लिंकन और नैंसी हैंक्स लिंकन थे। लिंकन का बचपन कठिनाइयों से भरा था। उन्हें औपचारिक शिक्षा बहुत कम मिली, लेकिन उन्होंने स्व-अध्ययन के माध्यम से ज्ञान प्राप्त किया। उनका प्रारंभिक जीवन संघर्षों से भरा था, लेकिन उनकी आत्मनिर्भरता और ज्ञान के प्रति लगन ने उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा दी।

राजनीतिक करियर और राष्ट्रपति पद

लिंकन ने अपना राजनीतिक करियर एक वकील के रूप में शुरू किया और धीरे-धीरे राजनीति में प्रवेश किया। वे 1834 में इलिनोइस राज्य विधानसभा के सदस्य बने और बाद में अमेरिकी कांग्रेस के लिए निर्वाचित हुए।

1858 में, जब उन्होंने स्टीफन डगलस के खिलाफ चुनाव लड़ा, तो उनके द्वारा दिए गए भाषणों ने राष्ट्रीय स्तर पर उनकी पहचान बनाई। 1860 में वे अमेरिका के राष्ट्रपति चुने गए। राष्ट्रपति बनने के बाद, उन्होंने देश को एकजुट रखने और दासप्रथा को समाप्त करने के लिए संघर्ष किया।

गृहयुद्ध और राष्ट्रपति के रूप में नेतृत्व

लिंकन, जो एक उदारवादी रिपब्लिकन थे, को युद्ध के दौरान कई राजनीतिक गुटों को संतुलित करना पड़ा। उनके समर्थकों में वार डेमोक्रेट्स और रेडिकल रिपब्लिकन थे, जो दक्षिणी विद्रोहियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे थे। उन्होंने कुशल राजनीतिक रणनीति, प्रशासनिक निर्णय और जनता को संबोधित कर राजनीतिक स्थिरता बनाए रखी।

उनके प्रसिद्ध भाषणों में गेटिसबर्ग पता विशेष रूप से ऐतिहासिक है, जिसमें उन्होंने लोकतंत्र और राष्ट्रीय एकता के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने युद्ध रणनीति को नज़दीकी से देखा, जनरलों की नियुक्ति की, और दक्षिणी राज्यों की व्यापारिक गतिविधियों को रोकने के लिए नौसैनिक नाकाबंदी लागू की। उन्होंने मैरीलैंड और अन्य जगहों पर हैबियस कॉर्पस को निलंबित कर दिया और ट्रेंट अफेयर को शांतिपूर्वक हल कर ब्रिटेन के साथ युद्ध टाल दिया।

1863 में, लिंकन ने मुक्ति उद्घोषणा (Emancipation Proclamation) जारी की, जिसमें विद्रोही राज्यों के दासों को स्वतंत्र घोषित किया गया। उन्होंने सेना और नौसेना को इन दासों की स्वतंत्रता बनाए रखने और उन्हें अमेरिकी सैन्य सेवा में भर्ती करने का निर्देश दिया। इसके अलावा, उन्होंने तेरहवें संशोधन को पारित कराने में अहम भूमिका निभाई, जिससे अमेरिका में दासप्रथा पूरी तरह समाप्त हो गई।

गृहयुद्ध और दासप्रथा की समाप्ति

अब्राहम लिंकन के राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिका में गृहयुद्ध छिड़ गया। यह युद्ध उत्तर और दक्षिण राज्यों के बीच लड़ा गया, जिसमें मुख्य कारण दासप्रथा का मुद्दा था। लिंकन ने 1863 में ‘एमैंसिपेशन प्रोक्लमेशन’ जारी किया, जिसने अमेरिका में दासप्रथा को कानूनी रूप से समाप्त कर दिया। इस निर्णय ने अमेरिका को एक नई दिशा दी और लाखों गुलामों को स्वतंत्रता दिलाई।

गेटिसबर्ग भाषण: लोकतंत्र की नई परिभाषा

1863 में, गेटिसबर्ग युद्ध के बाद, लिंकन ने अपना प्रसिद्ध गेटिसबर्ग भाषण दिया। इसमें उन्होंने लोकतंत्र की परिभाषा को पुनः स्थापित किया – “जनता का, जनता के द्वारा, और जनता के लिए शासन”। यह भाषण आज भी लोकतंत्र की मूल भावना को दर्शाता है।

हत्या और विरासत

1864 में, उन्होंने सफलतापूर्वक फिर से चुनाव जीता और युद्ध समाप्त होने के बाद राष्ट्र को पुनः एकजुट करने का प्रयास किया। 9 अप्रैल 1865 को, रॉबर्ट ई. ली के आत्मसमर्पण के साथ गृहयुद्ध समाप्त हुआ, लेकिन सिर्फ पाँच दिन बाद, 14 अप्रैल को, लिंकन को फोर्ड थिएटर में जॉन विल्क्स बूथ नामक कॉन्फेडरेट समर्थक ने गोली मार दी। अगले दिन, 15 अप्रैल को उनकी मृत्यु हो गई।

निष्कर्ष

अब्राहम लिंकन केवल एक राष्ट्रपति ही नहीं, बल्कि एक विचारधारा थे। उन्होंने अपने संघर्ष, ईमानदारी और महान निर्णयों के कारण दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाई। वे आज भी प्रेरणा का स्रोत हैं और उनकी जीवनगाथा हमें सिखाती है कि कठिनाइयों के बावजूद, सत्य और न्याय के मार्ग पर चलते रहना ही सच्ची सफलता है।

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