प्रश्न है कि आचार संहिता की अवधि कितनी होती है। भारत में चुनावों के दौरान आचार संहिता का कार्यान्वयन एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, जो स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए बनाई गई है। यह आचार संहिता चुनाव आयोग द्वारा लागू की जाती है और इसके उल्लंघन पर सख्त कार्रवाई की जाती है। इस लेख में, हम जानेंगे कि आचार संहिता की अवधि कितनी होती है और इसके प्रमुख पहलुओं पर चर्चा करेंगे।

आचार संहिता क्या है?

आचार संहिता, जिसे मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट (MCC) भी कहा जाता है, एक सेट नियमों का समूह है जो चुनावी प्रक्रिया के दौरान राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों पर लागू होता है। इसका उद्देश्य चुनावी प्रक्रिया को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाना है। यह नियम चुनाव आयोग द्वारा तैयार किए जाते हैं और सभी राजनीतिक दलों को इनका पालन करना अनिवार्य होता है।

आचार संहिता कब लागू होती है?

आचार संहिता तब लागू होती है जब चुनाव आयोग चुनाव की तारीखों की घोषणा करता है। जैसे ही तारीखें घोषित की जाती हैं, आचार संहिता प्रभावी हो जाती है और यह चुनाव प्रक्रिया समाप्त होने तक बनी रहती है। इसका मतलब यह है कि आचार संहिता चुनाव परिणाम आने तक लागू रहती है।

उदाहरण के लिए, यदि लोकसभा चुनाव की तारीखें 19 अप्रैल से 1 जून के बीच निर्धारित की गई हैं, तो आचार संहिता उसी दिन से लागू होगी और परिणाम आने तक जारी रहेगी।

आचार संहिता की अवधि

  • प्रभावी तिथि: चुनाव आयोग द्वारा चुनाव तिथियों की घोषणा के साथ ही।
  • समाप्ति तिथि: चुनाव परिणामों की घोषणा के बाद।

इस प्रकार, आचार संहिता आमतौर पर लगभग 1-2 महीने तक प्रभावी रहती है, जो चुनावों की प्रकृति और संख्या पर निर्भर करती है।

आचार संहिता का उद्देश्य

आचार संहिता का मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं:

  • निष्पक्षता: सभी राजनीतिक दलों के लिए समान अवसर सुनिश्चित करना।
  • भ्रष्टाचार का निवारण: मतदाताओं को रिश्वत देने या धमकाने जैसी गतिविधियों को रोकना।
  • सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग रोकना: सरकारी गाड़ियों, भवनों और अन्य संसाधनों का चुनाव प्रचार में उपयोग नहीं किया जा सकता।

आचार संहिता के उल्लंघन पर कार्रवाई

यदि कोई राजनीतिक दल या उम्मीदवार आचार संहिता का उल्लंघन करता है, तो चुनाव आयोग उसके खिलाफ कार्रवाई कर सकता है। इसमें शामिल हो सकते हैं:

  • चुनाव लड़ने से रोकना: उल्लंघन करने वाले उम्मीदवार को चुनाव लड़ने से रोका जा सकता है।
  • FIR दर्ज करना: गंभीर मामलों में पुलिस में शिकायत दर्ज कराई जा सकती है।
  • सजा: दोष सिद्ध होने पर उम्मीदवार को जेल भी भेजा जा सकता है।

निष्कर्ष

आचार संहिता भारतीय लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो सुनिश्चित करती है कि चुनाव प्रक्रिया निष्पक्ष और पारदर्शी हो। इसकी अवधि आमतौर पर चुनाव तिथियों की घोषणा से लेकर परिणामों की घोषणा तक होती है। सभी राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को इन नियमों का पालन करना आवश्यक होता है ताकि लोकतंत्र की गरिमा बनी रहे।

इस प्रकार, आचार संहिता न केवल एक कानूनी दस्तावेज़ है, बल्कि यह लोकतांत्रिक मूल्यों को संरक्षित करने का एक साधन भी है।

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