भारत के इतिहास में एक काले दिन के रूप में दर्ज 14 फरवरी 2019 का दिन। इस दिन जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में एक आत्मघाती आतंकवादी हमले में CRPF (केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल) के 40 जवान शहीद हो गए थे। यह हमला भारतीय सुरक्षा बलों पर हुआ सबसे घातक आतंकी हमलों में से एक था। इस घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया और आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई को और भी मजबूत बना दिया।

पृष्ठभूमि

कश्मीर एक विवादित क्षेत्र है, जिस पर भारत और पाकिस्तान दोनों दावा करते हैं। 1980 के दशक के अंत से यहां आतंकवाद की गतिविधियां तेज हो गईं, जिनमें पाकिस्तान से मिली मदद का भी योगदान था। 1989 से अब तक लगभग 70,000 लोग मारे जा चुके हैं, जिनमें आतंकवादी, नागरिक और सुरक्षा बल शामिल हैं।

यह आतंकी हमला 14 फरवरी 2019 को दोपहर लगभग 3:15 बजे हुआ, जब केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) जवानों का एक काफिला जम्मू से श्रीनगर जा रहा था। इस काफिले में 78 वाहन शामिल थे, जिनमें लगभग 2,500 जवान सफर कर रहे थे। दो दिन तक हाईवे बंद रहने के कारण एक साथ अधिक संख्या में जवानों को भेजा गया था। जैसे ही यह काफिला पुलवामा के अवंतीपोरा क्षेत्र से गुजरा, तभी एक आत्मघाती हमलावर आईईडी (इंप्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) से भरी हुई कार को जवानों की बस से टकरा दिया, जिसमें  40 जवान शहीद हो गए। जबकि हमलावर आदिल अहमद डार, जो पुलवामा का ही निवासी था, भी मारा गया। इस आत्मघाती हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ली, और हमलावर आदिल अहमद डार का वीडियो जारी किया, जिसमें उसने आत्मघाती हमला करने की बात स्वीकार की।  भारत ने इस हमले के लिए पाकिस्तान को दोषी ठहराया, जबकि पाकिस्तान ने इसकी निंदा करते हुए किसी भी तरह की संलिप्तता से इनकार किया। लेकिन जैश-ए-मोहम्मद का सरगना मसूद अजहर पाकिस्तान में सक्रिय था। इस घटना के बाद भारत-पाकिस्तान संबंधों में भारी तनाव पैदा हुआ, जिससे 2019 भारत-पाकिस्तान सैन्य संघर्ष की स्थिति बनी।

हमले के पीछे की साजिश

इस हमले की साजिश पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठनों द्वारा रची गई थी। आत्मघाती हमलावर आदिल अहमद डार, जो पुलवामा का ही रहने वाला था, जैश-ए-मोहम्मद से जुड़ा हुआ था। यह हमलावर पहले से ही सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर था, लेकिन आतंकी संगठन ने उसे आत्मघाती हमलावर बनने के लिए उकसाया और प्रशिक्षित किया। हमले के लिए विस्फोटक सामग्री कैसे जुटाई गई और किस तरह इसे अंजाम दिया गया, इस पर गहन जांच हुई।

हमले से पहले भारतीय खुफिया एजेंसियों ने कम से कम 11 बार हमले की संभावना को लेकर अलर्ट जारी किया था। दो दिन पहले ही जैश-ए-मोहम्मद ने अफगानिस्तान में हुए एक आत्मघाती हमले का वीडियो जारी कर कश्मीर में भी इसी तरह का हमला करने की धमकी दी थी।

जांच और कार्रवाई

हमले के बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने 12 सदस्यीय टीम गठित कर जांच शुरू की। प्रारंभिक जांच में पाया गया कि हमले में 300 किलोग्राम विस्फोटक, जिसमें 80 किलोग्राम RDX शामिल था, का उपयोग किया गया था। बाद में NIA ने पुष्टि की कि आत्मघाती हमलावर आदिल अहमद डार ही था।

अगस्त 2020 में NIA ने 19 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की। अगस्त 2021 तक, मुख्य आरोपी समेत 7 आतंकवादी मारे गए, जबकि 7 को गिरफ्तार किया गया।

हमले के बाद की घटनाएं

  • भारत ने पाकिस्तान से ‘मोस्ट फेवर्ड नेशन’ का दर्जा वापस ले लिया और पाकिस्तानी वस्तुओं पर 200% शुल्क लगा दिया।
  • FATF (फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स) ने पाकिस्तान को ‘ग्रे लिस्ट’ में बनाए रखा और कड़ी चेतावनी दी।
  • पूरे भारत में प्रदर्शन, कैंडल मार्च और पाकिस्तान विरोधी रैलियां हुईं।
  • भारतीय फिल्म और टीवी उद्योग ने पाकिस्तानी कलाकारों पर प्रतिबंध लगा दिया।

भारत की प्रतिक्रिया

इस जघन्य हमले के बाद पूरे देश में आक्रोश फैल गया। भारतीय सरकार ने आतंकवाद के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का संकल्प लिया। इसके जवाब में, 26 फरवरी 2019 को भारतीय वायुसेना ने बालाकोट एयरस्ट्राइक को अंजाम दिया, जिसमें पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में स्थित जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी ठिकानों को नष्ट कर दिया गया।

इसके अलावा, भारत ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान को कूटनीतिक रूप से अलग-थलग करने के प्रयास किए। एफएटीएफ (फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स) में पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डालने की प्रक्रिया तेज हुई और वैश्विक मंचों पर आतंकवाद के खिलाफ भारत की नीति को समर्थन मिला।

बालाकोट एयरस्ट्राइक

26 फरवरी 2019 को भारतीय वायुसेना के मिराज-2000 लड़ाकू विमानों ने नियंत्रण रेखा पार कर पाकिस्तान के बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादी ठिकाने पर बमबारी की। भारत ने दावा किया कि इस हमले में 300-350 आतंकवादी मारे गए, जबकि पाकिस्तान ने इसे खारिज कर दिया।

भारत-पाकिस्तान सैन्य तनाव

बालाकोट हमले के बाद दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया। एक हवाई संघर्ष के दौरान भारत का मिग-21 लड़ाकू विमान गिरा और विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान को पाकिस्तान ने बंदी बना लिया। बाद में अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते पाकिस्तान ने उन्हें 1 मार्च 2019 को रिहा कर दिया।

कश्मीरियों पर हमले और प्रतिक्रिया

हमले के बाद देश के विभिन्न हिस्सों में कश्मीरी छात्रों और व्यापारियों पर हमले की घटनाएं सामने आईं। कई कश्मीरियों को घरों से निकाला गया और दुकानों को निशाना बनाया गया। हालांकि, कुछ भारतीय नागरिकों ने कश्मीरियों को शरण देने की भी पेशकश की।

देश की जनता का आक्रोश

हमले के बाद पूरे देश में पाकिस्तान के खिलाफ गुस्सा फूट पड़ा। लोग सड़कों पर उतरकर शहीदों को श्रद्धांजलि देने लगे। सोशल मीडिया पर भी आतंकवाद के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग उठी। हर भारतीय के मन में शहीद जवानों के प्रति सम्मान और आतंकवाद के प्रति घृणा की भावना और बढ़ गई।

निष्कर्ष

2019 पुलवामा हमला भारत के सुरक्षा बलों पर सबसे घातक आतंकवादी हमलों में से एक था। इस हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में भारी तनाव आया, जिसके चलते बालाकोट एयरस्ट्राइक और भारत-पाकिस्तान सैन्य गतिरोध हुआ। भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने कड़ी कार्रवाई करते हुए हमले में शामिल आतंकवादियों को मार गिराया और कई गिरफ्तारियां कीं। पुलवामा हमला भारत की सुरक्षा नीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ, जिससे आतंकवाद के खिलाफ भारत का रुख और अधिक सख्त हो गया।

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