मध्य प्रदेश सहकारी डेयरी कार्यक्रम (MPCDP) मध्य प्रदेश राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई एक पहल है जिसका उद्देश्य राज्य में दूध उत्पादन और डेयरी उद्योग को बढ़ावा देना है। यह कार्यक्रम 1964 में शुरू किया गया था और तब से इसने राज्य में दूध और डेयरी उत्पादों के उत्पादन और खपत में उल्लेखनीय वृद्धि की है।

कार्यक्रम के मुख्य उद्देश्य

  • राज्य में दूध उत्पादन को बढ़ाना।
  • डेयरी किसानों की आय में वृद्धि करना।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा करना।
  • दूध और डेयरी उत्पादों की खपत को बढ़ावा देना।
  • डेयरी किसानों को आधुनिक तकनीकों और प्रथाओं से अवगत कराना।
  • डेयरी उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार करना।

कार्यक्रम के मुख्य घटक

  • दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियों का गठन: एमपीसीडीपी के तहत, राज्य भर में हजारों दूध उत्पादक सहकारी समितियों का गठन किया गया है। ये समितियाँ किसानों से दूध एकत्र करती हैं और इसे डेयरी संयंत्रों में भेजती हैं।
  • डेयरी संयंत्रों की स्थापना: एमपीसीडीपी के तहत, राज्य में कई डेयरी संयंत्र स्थापित किए गए हैं। इन संयंत्रों में, दूध को संसाधित करके विभिन्न डेयरी उत्पादों में परिवर्तित किया जाता है।
  • पशुधन विकास: एमपीसीडीपी किसानों को बेहतर नस्ल के मवेशी खरीदने और वैज्ञानिक पशुपालन प्रथाओं को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करता है।
  • चारा विकास: एमपीसीडीपी किसानों को चारा फसलों की खेती करने और अपने मवेशियों के लिए पौष्टिक चारा उपलब्ध कराने के लिए प्रोत्साहित करता है।
  • पशु स्वास्थ्य सेवाएँ: एमपीसीडीपी किसानों को अपने मवेशियों को बीमारियों से बचाने के लिए पशु स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच प्रदान करता है।
  • विपणन और बिक्री: एमपीसीडीपी दूध और डेयरी उत्पादों के विपणन और बिक्री के लिए एक मजबूत बुनियादी ढाँचा प्रदान करता है।

सहकारी डेयरी कार्यक्रम की उपलब्धियाँ

  • एमपीसीडीपी के तहत, मध्य प्रदेश भारत का दूसरा सबसे बड़ा दूध उत्पादक राज्य बन गया है।
  • पिछले कुछ दशकों में राज्य में दूध उत्पादन में कई गुना वृद्धि हुई है।
  • डेयरी किसानों की आय में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़े हैं।
  • दूध और डेयरी उत्पादों की खपत बढ़ी है।
  • डेयरी किसान आधुनिक तकनीकों और प्रथाओं से अवगत हो गए हैं।
  • डेयरी उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार हुआ है।

चुनौतियाँ

  • किसानों में जागरूकता पैदा करना: कई किसान अभी भी आधुनिक डेयरी प्रथाओं से अवगत नहीं हैं।
  • पशुधन की गुणवत्ता में सुधार: राज्य में मवेशियों की औसत उत्पादकता अभी भी राष्ट्रीय औसत से कम है।
  • चारे की कमी: राज्य में चारे की कमी एक बड़ी समस्या है।
  • पशु रोग: पशु रोग डेयरी किसानों के लिए एक बड़ी चुनौती है।
  • विपणन और बिक्री: दूध और डेयरी उत्पादों के विपणन और बिक्री में सुधार की आवश्यकता है।

उपलब्ध अधोसंरचना

  • 6 सहकारी दुग्ध संघ
  • 7145 कार्यरत दुग्ध सहकारी समितियाँ
  • 603 बल्क मिल्क कूलर – 9.88 लाख लीटर
  • 59 दुग्ध शीत केन्द्र – 6.87 लाख लीटर
  • 6 मुख्य डेयरी प्लांट – 13.70 लाख लीटर
  • 10 लघु डेयरी प्लांट – 2.53 लाख लीटर
  • 2 दुग्ध पाउडर प्लांट – 20 मीट्रिक टन
  • 5 पशु आहार प्लांट – 550 मीट्रिक टन

MPCDP के अंतर्गत प्रदेश के सभी जिलों में सहकारी डेयरी विकास कार्यक्रम चलाया जा रहा है। गठित समितियों के सदस्यों की संख्या 3,38,156 है, जिनमें से 77,457 सामान्य वर्ग से, 31,656 अनुसूचित जाति वर्ग से, 21,909 अनुसूचित जनजाति वर्ग से तथा 2,07,134 अन्य पिछड़ा वर्ग से हैं।

भविष्य की दिशा

  • कृषि विज्ञान केंद्रों और गैर सरकारी संगठनों के माध्यम से किसानों को आधुनिक डेयरी प्रथाओं के बारे में शिक्षित करना।
  • अच्छी नस्ल के मवेशियों की खरीद के लिए किसानों को सब्सिडी प्रदान करना।
  • चारागाह विकास कार्यक्रमों को बढ़ावा देना और किसानों को चारा भंडारण तकनीक सिखाना।
  • पशु चिकित्सकों की संख्या बढ़ाना तथा पशु टीकाकरण कार्यक्रमों को मजबूत बनाना।
  • सहकारी समितियों को मजबूत बनाना तथा उन्हें दूध उत्पादों में मूल्य संवर्धन करने में सक्षम बनाना।
  • ग्रामीण क्षेत्रों से डेरियों तक दूध की आपूर्ति में सुधार के लिए कूल मिल्क वाहनों के नेटवर्क का विस्तार करना।

मध्य प्रदेश सहकारी डेयरी कार्यक्रम एक सफलता की कहानी है, जिसने न केवल राज्य की अर्थव्यवस्था को बल्कि किसानों के जीवन स्तर को भी ऊपर उठाया है। भविष्य में इस कार्यक्रम को और मजबूत करके मध्य प्रदेश को देश का अग्रणी डेयरी राज्य बनाया जा सकता है।

निष्कर्ष

मध्य प्रदेश सहकारी डेयरी कार्यक्रम राज्य में डेयरी उद्योग के विकास में एक महत्वपूर्ण सफलता रही है। इस कार्यक्रम ने दूध उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि की है, डेयरी किसानों की आय में वृद्धि की है और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत किया है। हालांकि, कार्यक्रम को सफलतापूर्वक चलाने के लिए कुछ चुनौतियों का समाधान करना आवश्यक है। राज्य सरकार को किसानों को जागरूक करने, पशुधन की गुणवत्ता में सुधार करने, चारे की उपलब्धता बढ़ाने, पशु रोगों को नियंत्रित करने और विपणन और बिक्री नेटवर्क को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। इन चुनौतियों का समाधान करके, मध्य प्रदेश सहकारी डेयरी कार्यक्रम आने वाले वर्षों में और भी अधिक सफलता प्राप्त कर सकता है।

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