अर्थ ऑवर (Earth Hour) क्या है?

अर्थ ऑवर एक वैश्विक आंदोलन है, जिसे वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड (WWF) द्वारा आयोजित किया जाता है। यह आयोजन प्रत्येक वर्ष मार्च के अंतिम शनिवार को शाम 8:30 से 9:30 बजे तक मनाया जाता है, जिसमें व्यक्तियों, समुदायों और व्यवसायों को एक घंटे के लिए गैर-जरूरी बिजली बंद करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। इसका उद्देश्य जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाना और पृथ्वी के प्रति अपनी प्रतिबद्धता प्रदर्शित करना है।

इस पहल की शुरुआत 2007 में ऑस्ट्रेलिया के सिडनी से हुई थी, जब पहली बार ‘लाइट्स ऑफ’ अभियान के तहत बिजली बंद करने की अपील की गई थी। इसके बाद यह अभियान विश्वभर में फैल गया और कई देशों तथा शहरों ने इसमें सक्रिय रूप से भाग लिया। विशेष परिस्थितियों में, यदि होली सैटरडे (Holy Saturday) मार्च के अंतिम शनिवार को आता है, तो यह आयोजन एक सप्ताह पहले किया जाता है। जैसे कि 2024 में, अर्थ ऑवर 23 मार्च को मनाया जाएगा।

अर्थ ऑवर का इतिहास और इसकी शुरुआत

  1. 2004-2007: अवधारणा और शुरुआत

2004 में, जलवायु परिवर्तन के बढ़ते खतरों को देखते हुए WWF ऑस्ट्रेलिया ने एडवरटाइजिंग एजेंसी लियो बर्नेट सिडनी के साथ मिलकर एक योजना बनाई। इस योजना के तहत 2006 में “द बिग फ्लिक” (The Big Flick) नाम से एक बड़ा ‘स्विच ऑफ’ कार्यक्रम प्रस्तावित किया गया। इसके बाद, 31 मार्च 2007 को सिडनी में पहला अर्थ ऑवर आयोजित किया गया, जिसमें हजारों लोगों और व्यवसायों ने भाग लिया। इस पहल की सफलता ने अन्य देशों को भी प्रेरित किया और 2008 से यह एक वैश्विक आंदोलन बन गया।

  1. 2008: पहला अंतर्राष्ट्रीय आयोजन

29 मार्च 2008 को, अर्थ ऑवर पहली बार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाया गया। इस दौरान 35 देशों और 400 से अधिक शहरों ने भाग लिया। दुनिया भर के प्रसिद्ध स्थलों ने इस अभियान का समर्थन करते हुए अपनी गैर-जरूरी बिजली बंद कर दी, जिनमें गूगल का होमपेज भी “डार्क मोड” में चला गया। इस आयोजन में अमेरिका के 36 मिलियन लोगों ने भाग लिया, जिससे पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता 4% तक बढ़ी।

  • कुछ महत्वपूर्ण आँकड़े:
    • थाईलैंड के बैंकॉक में बिजली की खपत 73.34 मेगावाट कम हुई, जिससे 41.6 टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में कमी आई।
    • फिलीपींस में 102.2 मेगावाट बिजली की बचत हुई।
    • टोरंटो, कनाडा में बिजली की खपत 8.7% तक कम हो गई।
    • आयरलैंड में पूरे देश में बिजली की खपत 1.5% तक कम हुई।
    • न्यूज़ीलैंड के क्राइस्टचर्च शहर में बिजली की माँग 13% तक घटी।
  1. 2009: “वोट अर्थ” अभियान

2009 में, अर्थ ऑवर का विषय “वोट अर्थ” (Vote Earth) था, जो संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (UN Climate Change Conference 2009) के लिए समर्थन जुटाने पर केंद्रित था। इस साल 88 देशों और 4,159 शहरों ने भाग लिया।

  • प्रमुख भागीदारी:
    • मिस्र में स्फिंक्स और ग्रेट पिरामिड की रोशनी बंद की गई।
    • फिलीपींस में 647 शहरों और 10 मिलियन से अधिक लोगों ने भाग लिया।
    • स्वीडन में ऊर्जा खपत में 5% की गिरावट देखी गई।
    • वियतनाम में बिजली की माँग 140 मेगावाट-घंटे कम हुई।
  1. 2010-2011: “60+” और उससे आगे
  • 2010 में अर्थ ऑवर में 126 देशों ने भाग लिया और प्रमुख वैश्विक स्थलों जैसे एम्पायर स्टेट बिल्डिंग, बिग बेन, एफिल टॉवर और सिडनी ओपेरा हाउस की रोशनी बंद कर दी गई।
  • 2011 में, 

इस आंदोलन ने एक नया रूप लिया और इसे “Beyond the Hour” टैगलाइन दी गई। इस पहल का उद्देश्य केवल एक घंटे की बजाय दीर्घकालिक प्रयासों को प्रोत्साहित करना था। इस वर्ष 135 देशों और 5,251 शहरों ने भाग लिया।

  1. 2012
  • 2012 में, अर्थ ऑवर का वैश्विक मुख्यालय सिडनी से सिंगापुर स्थानांतरित हुआ। इस अवसर पर 20 फरवरी को ION ऑर्चर्ड, सिंगापुर में एक लॉन्च कार्यक्रम आयोजित किया गया।
  • 31 मार्च 2012 को अर्थ ऑवर 152 देशों और 7,000 से अधिक शहरों में मनाया गया। यह पहला मौका था जब इसे अंतरिक्ष में भी मनाया गया; डच अंतरिक्ष यात्री आंद्रे कुइपर्स ने इस आयोजन के दौरान अंतरिक्ष से ट्वीट किया।
  1. 2013
  • 2013 में, यह कार्यक्रम 23 मार्च को आयोजित किया गया ताकि यह यूरोपीय समर टाइम और ईस्टर वीकेंड से ना टकराए। इस वर्ष, यूगांडा में पहली बार ‘अर्थ ऑवर फॉरेस्ट’ परियोजना की शुरुआत हुई, जिसमें 2700 हेक्टेयर भूमि पर 250,000 से अधिक पेड़ लगाने का संकल्प लिया गया।
  • रूस में WWF ने 100,000 से अधिक हस्ताक्षर एकत्र कर वन कानून में सुधार के लिए एक याचिका प्रस्तुत की, जिससे यह मुद्दा रूस की संसद (ड्यूमा) में चर्चा के लिए लाया गया।
  1. 2014

2014 में, अर्थ ऑवर ब्लू (Earth Hour Blue) नामक एक क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म लॉन्च किया गया, जिससे विभिन्न पर्यावरणीय परियोजनाओं के लिए $60,000 से अधिक राशि जुटाई गई। इस वर्ष का मुख्य अभियान ऑस्ट्रेलिया की ग्रेट बैरियर रीफ की सुरक्षा और चीन में ब्लू स्काई ऐप के लॉन्च पर केंद्रित था।

  1. 2015

28 मार्च 2015 को यह आयोजन ‘चेंज क्लाइमेट चेंज’ (Change Climate Change) थीम के तहत हुआ। इस वर्ष, 170 देशों और 1,200 से अधिक प्रमुख स्थलों ने इस आंदोलन में भाग लिया। इस बार, फिलीपींस और भारत में सौर ऊर्जा वितरण सहित कई परियोजनाओं के लिए धन एकत्र किया गया।

  1. 2016

19 मार्च 2016 को अर्थ ऑवर की 10वीं वर्षगांठ मनाई गई। इस वर्ष लगभग सभी देशों ने इस पहल में भाग लिया। हालांकि, स्वीडन के ओस्टर्सुंड शहर ने सुरक्षा चिंताओं के कारण इस आयोजन को रद्द कर दिया।

  1. 2017 – 2019

2017 से 2019 तक अर्थ ऑवर का आयोजन हर वर्ष सफलता पूर्वक किया गया। 2019 में, 188 देशों ने इसमें भाग लिया। वियतनाम की मिस अर्थ 2018, गुयेन फुंग खान Earth Hour की एंबेसडर बनीं और उन्होंने ऊर्जा संरक्षण का संदेश दिया।

  1. 2020

कोविड-19 महामारी के कारण 28 मार्च 2020 को अर्थ ऑवर पहली बार डिजिटल रूप में आयोजित हुआ। इस वर्ष, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस, पोप फ्रांसिस, पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग और कई अन्य प्रसिद्ध हस्तियों ने इसमें भाग लिया।

  1. 2021 – 2024
  • 2021: इस वर्ष अर्थ ऑवर डे 27 मार्च को आयोजित हुआ।
  • 2022: 26 मार्च अर्थ ऑवर डे मनाया गया।
  • 2023: इसे ‘बिगेस्ट ऑवर फॉर अर्थ’ (Biggest Hour for Earth) के रूप में रीब्रांड किया गया, जिसमें सामुदायिक कार्रवाई पर अधिक ध्यान केंद्रित किया गया।
  • 2024: 23 मार्च को आयोजित किया गया। इस वर्ष, फिलीपींस ने प्लास्टिक प्रदूषण पर ध्यान केंद्रित किया।

अर्थ ऑवर का प्रभाव

हालांकि अर्थ ऑवर एक प्रतीकात्मक पहल है, लेकिन इसका वास्तविक प्रभाव काफी महत्वपूर्ण है। 2014 में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, इस आयोजन के दौरान बिजली की खपत में औसतन 4% की कमी देखी गई। यह एक महत्वपूर्ण संदेश देता है कि यदि हम ऊर्जा संरक्षण को अपनी आदत बना लें, तो जलवायु परिवर्तन से निपटा जा सकता है।

अर्थ ऑवर क्यों महत्वपूर्ण है?

  • ऊर्जा संरक्षण: इस पहल से लाखों मेगावाट बिजली की बचत होती है, जिससे ऊर्जा संसाधनों पर दबाव कम होता है।
  • पर्यावरण जागरूकता: यह अभियान लोगों को जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा संरक्षण के प्रति जागरूक करता है।
  • वैश्विक एकता: अर्थ ऑवर दुनिया को एकजुट करता है और पर्यावरण के प्रति सामूहिक जिम्मेदारी की भावना को प्रोत्साहित करता है।
  • कार्बन उत्सर्जन में कमी: इस आयोजन से कार्बन फुटप्रिंट कम करने में मदद मिलती है।
  • स्थायी बदलाव: अर्थ ऑवर केवल एक घंटे के लिए नहीं बल्कि दीर्घकालिक स्थायी जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित करता है।

भारत में अर्थ ऑवर

भारत ने भी इस वैश्विक आंदोलन में सक्रिय भागीदारी दिखाई है।

  • 2011 में, दिल्ली की तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित और अभिनेत्री विद्या बालन ने इस अभियान को समर्थन दिया।
  • 2015 में, राष्ट्रपति भवन, इंडिया गेट और गेटवे ऑफ इंडिया सहित कई प्रतिष्ठित स्थलों की रोशनी बंद कर दी गई।
  • 2021 में, महामारी के बावजूद डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से लाखों भारतीयों ने भाग लिया।

आलोचनाएं और विवाद

  • ऊर्जा की बचत पर संदेह: आलोचकों का मानना है कि एक घंटे की ऊर्जा बचत नगण्य होती है और इसका दीर्घकालिक प्रभाव नहीं पड़ता।
  • मोमबत्तियों के उपयोग से बढ़ता कार्बन उत्सर्जन: कुछ विशेषज्ञों का तर्क है कि मोमबत्तियों के उपयोग से ऊर्जा की बचत कम हो सकती है, क्योंकि वे पेट्रोलियम-आधारित होती हैं।
  • वैकल्पिक पहल: कुछ संगठनों ने ‘ह्यूमन अचीवमेंट ऑवर’ नामक एक विरोधी अभियान शुरू किया, जो औद्योगीकरण और आधुनिक तकनीक के लाभों को उजागर करता है।

कैसे भाग लें?

  • अपने घर, कार्यालय और संस्थान में गैर-जरूरी बिजली बंद करें।
  • इस आंदोलन के बारे में सोशल मीडिया पर जागरूकता फैलाएँ।
  • अपने समुदाय और स्कूलों को इस अभियान में शामिल करें।
  • ऊर्जा-बचत तकनीकों जैसे एलईडी बल्ब, सौर ऊर्जा और पुनःचक्रण को अपनाएँ।
  • इस पहल के तहत WWF द्वारा आयोजित इवेंट्स और अभियानों में भाग लें।
निष्कर्ष

अर्थ ऑवर केवल एक घंटे की बत्ती बुझाने की पहल नहीं है, बल्कि यह हमारे ऊर्जा उपयोग और पर्यावरण संरक्षण के प्रति दीर्घकालिक प्रतिबद्धता का प्रतीक है। यह एक आंदोलन है जो हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि हम अपनी पृथ्वी को कैसे संरक्षित कर सकते हैं। हालांकि कुछ आलोचनाएं भी हैं, लेकिन इसके सकारात्मक प्रभाव और व्यापक जागरूकता को देखते हुए, यह एक महत्वपूर्ण वैश्विक पहल बनी हुई है।

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