हर साल 20 फरवरी को अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम का स्थापना दिवस मनाया जाता है। यह दिन भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों के गठन और उनके सांस्कृतिक, भौगोलिक और ऐतिहासिक महत्व को याद करने के लिए मनाया जाता है। 20 फरवरी 1987 को इन दोनों राज्यों को पूर्ण राज्य का दर्जा मिला था। आइए विस्तार से समझते हैं कि अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम कैसे अस्तित्व में आए, इनका ऐतिहासिक महत्व क्या है और इनकी विशेषताएँ क्या हैं।
अरुणाचल प्रदेश: भारत के पूर्वोत्तर का उगता सूरज
प्रारंभिक इतिहास
अरुणाचल प्रदेश को पहले नॉर्थ-ईस्ट फ्रंटियर एजेंसी (NEFA) के नाम से जाना जाता था। यह क्षेत्र पहले असम का हिस्सा था और भारत की आजादी के बाद 1954 में इसे NEFA के रूप में प्रशासनिक रूप से अलग किया गया।
- अरुणाचल प्रदेश का इतिहास प्राचीन भारतीय ग्रंथों जैसे महाभारत और पुराणों में मिलता है। इसे कभी-कभी “अरुणाचल” (उगते सूरज की भूमि) कहा जाता था।
- यहाँ विभिन्न तिब्बती, बर्मी और असमिया प्रभाव देखने को मिलते हैं।
- मध्यकाल में यह क्षेत्र असम के अहोम राजाओं और तिब्बती शासकों के बीच संघर्ष का केंद्र था।
ब्रिटिश शासन और NEFA का गठन
- ब्रिटिश शासन के दौरान, इस क्षेत्र को असम प्रशासन के अधीन रखा गया था।
- 1914 में “नॉर्थ-ईस्ट फ्रंटियर ट्रैक्ट” बनाया गया, जो बाद में 1954 में “नॉर्थ-ईस्ट फ्रंटियर एजेंसी (NEFA)” के रूप में जाना गया।
- 1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद, NEFA को असम राज्य के प्रशासन के अंतर्गत रखा गया, लेकिन यह केंद्र सरकार द्वारा प्रत्यक्ष रूप से नियंत्रित होता था।
अरुणाचल प्रदेश गठन
- 1972 में अरुणाचल प्रदेश को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया गया।
- 20 फरवरी 1987 को इसे भारतीय गणराज्य का पूर्ण राज्य घोषित किया गया।
क्यों बनाया गया अलग राज्य?
- भौगोलिक कठिनाइयाँ: अरुणाचल प्रदेश एक पहाड़ी क्षेत्र है, जिसे असम से प्रशासनिक रूप से नियंत्रित करना कठिन था।
- संस्कृति और जनजातीय संरचना: अरुणाचल में विभिन्न जनजातियाँ रहती हैं, जिनकी भाषा, परंपराएँ और रीति-रिवाज असम से अलग थे।
- सुरक्षा कारण: अरुणाचल प्रदेश की सीमा चीन, भूटान और म्यांमार से लगती है। 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद इस क्षेत्र का रणनीतिक महत्व बढ़ गया था।
- राजनीतिक और प्रशासनिक कारण: बेहतर प्रशासन के लिए इसे असम से अलग करके नया राज्य बनाया गया।
अरुणाचल प्रदेश की विशेषताएँ
- भारत का सबसे पूर्वी राज्य: इसे “उगते सूरज की धरती” कहा जाता है क्योंकि भारत में सबसे पहले सूर्योदय अरुणाचल में होता है।
- जनजातीय संस्कृति: यहाँ लगभग 26 प्रमुख जनजातियाँ और 100 से अधिक उप-जनजातियाँ रहती हैं। प्रमुख जनजातियाँ न्याशी, मोनपा, आदि, आपातानी, मिश्मी, तागिन आदि हैं।
- प्राकृतिक सौंदर्य: अरुणाचल प्रदेश में तवांग मठ, सेला दर्रा, नामदाफा नेशनल पार्क, बुम ला दर्रा जैसी सुंदर जगहें हैं।
- बौद्ध धर्म और तवांग मठ: तवांग मठ भारत का सबसे बड़ा और दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा बौद्ध मठ है।
- सैन्य रणनीतिक महत्व: यहाँ भारतीय सेना के कई महत्वपूर्ण ठिकाने हैं क्योंकि यह चीन की सीमा पर स्थित है।
मिजोरम: बांस का देश और शांति का प्रतीक
इतिहास और गठन
मिजोरम पहले असम का एक जिला था, जिसे लुशाई हिल्स के नाम से जाना जाता था, ब्रिटिश शासन में इसे असम के हिस्से के रूप में रखा गया था, लेकिन यहाँ का प्रशासन अलग था।
- 1950 में इसे असम का एक विशेष जिला बनाया गया।
- 1972 में इसे केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया गया।
- 20 फरवरी 1987 को पूर्ण राज्य का दर्जा मिला।
ब्रिटिश शासन के दौरान घटनाएँ
- 1890 के दशक में ब्रिटिश सरकार ने मिजो जनजातियों को नियंत्रित करने के लिए लुशाई हिल्स जिला बनाया।
- स्थानीय मिजो जनजातियाँ ब्रिटिश प्रशासन से असंतुष्ट थीं, लेकिन 1947 तक यह असम के अंतर्गत ही रहा।
मिजो विद्रोह और अलग राज्य की मांग
- 1950 में विशेष जिला: भारत की स्वतंत्रता के बाद लुशाई हिल्स को असम का विशेष जिला बना दिया गया।
- 1959 का अकाल (मौतम संकट): 1959 में मिजोरम में एक बड़ा अकाल पड़ा, जिसे “मौतम” कहा जाता है। इस संकट के दौरान असम सरकार की उपेक्षा के कारण मिजो लोगों में असंतोष बढ़ा।
- 1961 में मिजो नेशनल फ्रंट (MNF) का गठन: इस असंतोष के कारण मिजो नेशनल फ्रंट (MNF) का गठन हुआ, जिसने मिजोरम की स्वतंत्रता की मांग की।
- 1966 का मिजो विद्रोह: 1966 में MNF ने असम सरकार के खिलाफ विद्रोह कर दिया, जिसे भारतीय सेना ने दबा दिया।
- शांति समझौता (1986): 1986 में भारत सरकार और MNF के बीच शांति समझौता हुआ, जिसके बाद मिजोरम को अलग राज्य का दर्जा देने पर सहमति बनी।
क्यों बनाया गया अलग राज्य?
- संस्कृति और भाषा: मिजोरम की जनजातियाँ असम से अलग थीं। उनकी भाषा, खान-पान, परंपराएँ और रीति-रिवाज विशिष्ट थे।
- मिजो विद्रोह (1966-1986): 1966 में असम सरकार के खिलाफ मिजो नेशनल फ्रंट (MNF) ने विद्रोह किया। 1986 में मिजो शांति समझौते के बाद इसे अलग राज्य का दर्जा दिया गया।
- प्रशासनिक सुधार: मिजो जनजातियों की विशेष पहचान को बनाए रखने और प्रशासनिक व्यवस्था को सुचारू करने के लिए इसे नया राज्य बनाया गया।
- भारत-चीन युद्ध (1962): 1962 में चीन ने अरुणाचल प्रदेश के तवांग और अन्य क्षेत्रों पर आक्रमण कर दिया था। इस घटना के बाद भारत सरकार को इस क्षेत्र की सुरक्षा और प्रशासनिक मजबूती के लिए विशेष ध्यान देना पड़ा।
- राजनीतिक प्रशासन में सुधार: 1972 में NEFA को असम से अलग करके इसे एक केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया।
- पूर्ण राज्य का दर्जा (1987): 20 फरवरी 1987 को इसे भारतीय गणराज्य के 24वें राज्य के रूप में पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया।
मिजोरम की विशेषताएँ
- बांस और जंगलों की भूमि: मिजोरम का 90% हिस्सा जंगलों से ढका हुआ है और यह भारत में सबसे अधिक बांस उत्पादन करने वाले राज्यों में से एक है।
- मिजो समाज और रीति-रिवाज: मिजो समाज सामूहिक जीवनशैली में विश्वास रखता है। यहाँ का समुदाय “Tlawmngaihna” सिद्धांत पर चलता है, जिसका अर्थ है “सहायता और सेवा की भावना”।
- त्योहार और नृत्य: मिजोरम के प्रमुख त्योहारों में चपचार कुट, मिम कुट और थालफावंग कुट शामिल हैं। प्रसिद्ध नृत्य चेराव डांस (बांस नृत्य) यहाँ की पहचान है।
- शांतिपूर्ण राज्य: 1986 में हुए मिजो शांति समझौते के बाद यह क्षेत्र अत्यंत शांतिपूर्ण बन गया और आज यह भारत के सबसे शांत राज्यों में से एक है।
- पर्यटन स्थल: मिजोरम में रियेक गांव, लुंगलेई, फौंगपुई पीक, वानटांग फॉल्स जैसी सुंदर जगहें हैं।
अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम की स्थापना दिवस का महत्व
- दोनों राज्य भारत की क्षेत्रीय एकता और सांस्कृतिक विविधता को दर्शाते हैं।
- ये राज्य भारत की पूर्वोत्तर नीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- इनका गठन प्रशासनिक सुधार और स्थानीय लोगों की पहचान को बनाए रखने के लिए किया गया था।
निष्कर्ष
20 फरवरी का दिन अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम स्थापना दिवस के लिए ऐतिहासिक महत्व रखता है। इन राज्यों का गठन प्रशासनिक, सांस्कृतिक और रणनीतिक कारणों से किया गया था। आज, ये राज्य अपनी समृद्ध संस्कृति, सुंदर प्राकृतिक वातावरण और अनूठी परंपराओं के कारण भारत के महत्वपूर्ण हिस्से हैं। अरुणाचल प्रदेश अपनी बौद्ध संस्कृति और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है, और वहीं मिजोरम शांतिपूर्ण जीवन और हरे-भरे जंगलों के लिए जाना जाता है। इन राज्यों का योगदान भारत की समृद्ध विरासत और विविधता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।