गोवा 1510 में पुर्तगाली उपनिवेश बना, जब अफोंसो द अल्बुकर्क ने इसे विजय कर लिया। इसके बाद गोवा पुर्तगाल का एक महत्वपूर्ण व्यापारिक और प्रशासनिक केंद्र बन गया। 1947 में भारत की आज़ादी के बाद भी, गोवा पर पुर्तगाल का शासन बना रहा। भारत सरकार ने गोवा को शांतिपूर्ण तरीके से पुर्तगाली शासन से मुक्त करने के प्रयास किए, लेकिन पुर्तगाल ने इसे अपने क्षेत्र से अलग करने से इनकार कर दिया। आइये जानते है गोवा की पृष्ठभूमि के बारे में|
- परिचय
- स्थान: गोवा भारत के दक्षिण-पश्चिमी तट पर स्थित है। यह कोंकण क्षेत्र में आता है और पश्चिमी घाटों द्वारा दक्कन के पठार से भौगोलिक रूप से अलग है।
- राजधानी: पंजी।
- आधिकारिक भाषा: कोंकणी।
- कोंकणी भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल 22 भाषाओं में से एक है।
- इसे 71वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 के तहत मणिपुरी और नेपाली के साथ सूची में जोड़ा गया।
- सीमाएँ:
- उत्तर में महाराष्ट्र और पूर्व व दक्षिण में कर्नाटक से घिरा है।
- पश्चिम में इसकी सीमा अरब सागर से लगती है।
- भूगोल:
- गोवा का सबसे ऊंचा स्थान सोन्सोगोर है।
- गोवा की सात प्रमुख नदियाँ हैं: जुआरी, मांडोवी (म्हादई), तेरेखोल, चपोरा, गलगिबाग, कुम्बरजुआ नहर, तलपोना और साल।
- गोवा की मिट्टी मुख्य रूप से लैटराइट से बनी है।
- वन्यजीव अभयारण्य और राष्ट्रीय उद्यान:
- डॉ. सलीम अली पक्षी अभयारण्य
- म्हादई वन्यजीव अभयारण्य
- नेट्रावली वन्यजीव अभयारण्य
- कोटिगाओ वन्यजीव अभयारण्य
- भगवान महावीर अभयारण्य
- मोल्लेम राष्ट्रीय उद्यान
गोवा मुक्ति दिवस हर साल 19 दिसंबर को मनाया जाता है। यह दिन गोवा की आज़ादी और पुर्तगाली शासन से मुक्ति की स्मृति में मनाया जाता है। 19 दिसंबर 1961 को भारत ने गोवा को पुर्तगाल के 450 साल के शासन से मुक्त कराया था। इस ऐतिहासिक दिन का महत्व गोवा के इतिहास में अत्यधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि इसने गोवा को भारतीय संघ का हिस्सा बनाया।
मुख्य बिंदु
- यह दिन उस ऐतिहासिक घटना को चिह्नित करता है जब 1961 में भारतीय सशस्त्र बलों ने गोवा को 450 वर्षों के पुर्तगाली शासन से मुक्त कराया।
- पुर्तगाल ने 1510 में भारत के विभिन्न हिस्सों पर कब्जा किया था, लेकिन 19वीं शताब्दी के अंत तक उनके नियंत्रण में केवल गोवा, दमन, दीव, दादरा, नगर हवेली और अंजेदिवा द्वीप (गोवा का हिस्सा) बचा।
- 15 अगस्त 1947 को भारत की स्वतंत्रता के बाद, भारत ने पुर्तगाल से उनके क्षेत्रों को सौंपने का अनुरोध किया, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया।
- गोवा मुक्ति आंदोलन ने छोटे पैमाने के विद्रोहों से शुरुआत की, लेकिन 1940 से 1960 के बीच यह चरम पर पहुंचा।
- 1961 में, पुर्तगाल के साथ कूटनीतिक प्रयास विफल होने के बाद, भारत सरकार ने ऑपरेशन विजय शुरू किया और 19 दिसंबर को गोवा, दमन और दीव को भारत में शामिल कर लिया।
- 30 मई 1987 को गोवा को एक अलग राज्य बनाया गया, जबकि दमन और दीव एक केंद्र शासित प्रदेश बने रहे।
- इसलिए, हर साल 30 मई को गोवा राज्य स्थापना दिवस मनाया जाता है।
पुर्तगाली शासन के अधीन गोवा
- 1510 में पुर्तगाली अधिग्रहण: गोवा 1510 में पुर्तगाली उपनिवेश बना, जब एडमिरल अफोंसो डी अल्बुकर्क ने बीजापुर के सुल्तान यूसुफ आदिल शाह को हराया।
- 1947 में भारत की आजादी के बाद स्थिति: जब 1947 में भारत ब्रिटिश शासन से आजाद हुआ, गोवा, दादरा और नगर हवेली, और दमन व दीव पुर्तगाल के ‘एस्तादो दा इंडिया’ (पुर्तगाली भारत) के हिस्से बने रहे।
भारत द्वारा गोवा का सैन्य अधिग्रहण
19 दिसंबर 1961: गोवा का भारत में विलय
19 दिसंबर 1961 को, भारत ने गोवा को एक त्वरित सैन्य अभियान के माध्यम से अपने अधिकार में ले लिया। यह कदम वर्षों तक पुर्तगाल के साथ कूटनीतिक प्रयासों के असफल रहने के बाद उठाया गया।
ऑपरेशन विजय और ऑपरेशन चटनी: क्या थे ये अभियान?
गोवा को आजाद कराने के लिए भारत ने ऑपरेशन विजय चलाया। इससे पहले ऑपरेशन चटनी के तहत गश्ती और टोही गतिविधियाँ शुरू की गई थीं।
मुक्ति संग्राम
गोवा के लोगों ने भी अपने तरीके से आज़ादी की लड़ाई लड़ी। 1946 में डॉ. राम मनोहर लोहिया ने गोवा में स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत की। गोवा की जनता ने कई विरोध प्रदर्शन और आंदोलन किए। इन आंदोलनों के बावजूद, पुर्तगाली सरकार ने कोई रियायत नहीं दी।
1961 में, भारतीय सेना ने “ऑपरेशन विजय” के तहत गोवा, दमन और दीव को पुर्तगाली शासन से मुक्त कराने के लिए सैन्य कार्रवाई की। 36 घंटे तक चले इस अभियान के बाद 19 दिसंबर 1961 को गोवा पूरी तरह से मुक्त हो गया और भारत का हिस्सा बना।
गोवा में स्वतंत्रता आंदोलन का आरंभ
- 1928 में गोवा नेशनल कांग्रेस की स्थापना: त्रिस्तानो डी ब्रागांसा कुन्हा, जिन्हें गोवा राष्ट्रवाद का जनक कहा जाता है, ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में गोवा नेशनल कांग्रेस की स्थापना की।
- 1946 में राम मनोहर लोहिया का आंदोलन: उन्होंने गोवा में एक ऐतिहासिक रैली का नेतृत्व किया।
- सशस्त्र संघर्ष की मांग: आज़ाद गोमांतक दल जैसे संगठनों ने सशस्त्र प्रतिरोध को स्वतंत्रता का एकमात्र मार्ग माना।
भारत की आजादी के बाद नेहरू की कूटनीति
- नेहरू का दृष्टिकोण: आजादी के बाद विभाजन और कश्मीर युद्ध ने भारत के संसाधनों और नेतृत्व का ध्यान खींच लिया। जवाहरलाल नेहरू ने पश्चिम में कोई टकराव टालने और कूटनीति के माध्यम से गोवा की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने का प्रयास किया।
- पुर्तगाल की प्रतिक्रिया: पुर्तगाली तानाशाह एंटोनियो डी ओलिवेरा सालाज़ार ने गोवा को उपनिवेश नहीं, बल्कि पुर्तगाल का ‘अभिन्न हिस्सा’ घोषित कर दिया।
- 1955 में सत्याग्रह पर नेहरू का बयान: जब सत्याग्रहियों पर पुर्तगालियों ने गोलीबारी की, नेहरू ने कहा, “गोवा भारत का हिस्सा है, और इसे कोई अलग नहीं कर सकता… हम शांतिपूर्ण समाधान चाहते हैं।”
सैन्य कार्रवाई: ऑपरेशन विजय का प्रारंभ
- कारण: पुर्तगाल के साथ बातचीत में प्रगति न होने और अफ्रीकी राष्ट्रों के समर्थन के कारण भारत ने गोवा को सैन्य रूप से मुक्त करने की योजना बनाई।
- ऑपरेशन चटनी: 1 दिसंबर 1961 को, भारतीय नौसेना ने गोवा के तट पर गश्त और टोही अभियान शुरू किया।
- ऑपरेशन विजय: 17 दिसंबर को भारतीय सेना ने गोवा, दमन और दीव में सैन्य कार्रवाई शुरू की। भारतीय नौसेना और वायुसेना ने सहयोग किया।
- 19 दिसंबर की विजय: गोवा के गवर्नर-जनरल वासालो ई सिल्वा ने आत्मसमर्पण कर दिया। गोवा, दमन और दीव पर 400 वर्षों के पुर्तगाली शासन का अंत हो गया।
गोवा मुक्ति दिवस का महत्व
- गोवा मुक्ति दिवस न केवल गोवा के इतिहास बल्कि पूरे भारत के लिए महत्वपूर्ण है। यह दिन उन सभी स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मान देने का अवसर है जिन्होंने गोवा की आज़ादी के लिए संघर्ष किया।
- यह गोवा की सांस्कृतिक और सामाजिक विरासत को संरक्षित करने का दिन है।
- इस दिन के माध्यम से गोवा के इतिहास को युवा पीढ़ी तक पहुँचाया जाता है।
- यह गोवा की भारतीय संघ में एकीकरण की याद दिलाता है।
गोवा मुक्ति दिवस समारोह
मुक्ति दिवस पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इस दिन को पूरे राज्य में बड़े उत्साह और गर्व के साथ मनाया जाता है।
- परेड और झंडारोहण: राजधानी पणजी में झंडारोहण और भव्य परेड का आयोजन किया जाता है।
- स्वतंत्रता सेनानियों का सम्मान: इस दिन स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने वाले सेनानियों को सम्मानित किया जाता है।
- सांस्कृतिक कार्यक्रम: गोवा की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को प्रदर्शित करने के लिए नृत्य, संगीत और कला प्रदर्शन आयोजित किए जाते हैं।
- विशेष स्मरण: ऑपरेशन विजय में भाग लेने वाले भारतीय सेना के जवानों को भी श्रद्धांजलि दी जाती है।
निष्कर्ष
गोवा मुक्ति दिवस भारत के लिए गर्व और सम्मान का दिन है। यह दिन हमें गोवा के संघर्षपूर्ण इतिहास की याद दिलाता है और यह भी बताता है कि एकजुटता और दृढ़ संकल्प से हर चुनौती को पार किया जा सकता है। गोवा आज एक समृद्ध और शांतिपूर्ण राज्य है, और इस दिन का उत्सव गोवा की इसी भावना को सलाम करता है।
गोवा के भारत में विलय की यह कहानी कूटनीति, सत्याग्रह और सैन्य शक्ति का एक उदाहरण है। यह भारत की स्वतंत्रता के बाद उसकी संप्रभुता और अखंडता को सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता को भी दर्शाती है।
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