सुशासन दिवस भारत में प्रतिवर्ष 25 दिसंबर को मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण अवसर है। 2014 में भारत सरकार द्वारा स्थापित इस दिवस को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। यह दिन नागरिकों और सार्वजनिक संस्थानों के बीच सुशासन के सिद्धांतों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से मनाया जाता है। यह पारदर्शिता, जवाबदेही, और कुशल प्रशासन के महत्व की याद दिलाता है, जो राष्ट्र के विकास और समृद्धि को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक हैं।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
सुशासन दिवस को अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजलि के रूप में स्थापित किया गया था। वाजपेयी जी एक दूरदर्शी नेता थे, जिन्हें उनके राजनैतिक कौशल, काव्यात्मक अभिव्यक्ति और लोकतांत्रिक आदर्शों के प्रति प्रतिबद्धता के लिए जाना जाता है। उन्होंने तीन बार भारत के प्रधानमंत्री के रूप में सेवा की और बुनियादी ढांचे, शिक्षा और अर्थव्यवस्था जैसे विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण सुधारों की शुरुआत की। उनकी नेतृत्व शैली समावेशिता, विकास और नागरिकों के कल्याण पर केंद्रित थी।
यह दिन सुशासन (सुषासन) के आदर्शों को भी रेखांकित करता है, जो वाजपेयी जी की विरासत का अभिन्न हिस्सा हैं। उनकी जयंती को इस विषय से जोड़कर, सरकार नागरिकों और सार्वजनिक अधिकारियों को बेहतर शासन के उच्च मानकों की ओर प्रेरित करना चाहती है।
सुशासन का महत्व
सुशासन किसी भी कार्यात्मक लोकतंत्र और सतत विकास का आधार है। यह सुनिश्चित करता है कि:
- पारदर्शिता: सरकारी संस्थानों के निर्णय और कार्य जनता के लिए खुले और जांच योग्य हों।
- जवाबदेही: सार्वजनिक अधिकारी अपने कार्यों के लिए उत्तरदायी हों।
- भागीदारी: नागरिकों को शासन में भाग लेने का अधिकार और अवसर मिले।
- कानून का शासन: सभी के साथ न्याय निष्पक्षता और समानता के साथ किया जाए।
- दक्षता: संसाधनों का प्रभावी उपयोग जनता की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए किया जाए।
समारोह और गतिविधियां
सुशासन दिवस के अवसर पर विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जाता है, जिनका उद्देश्य शासन से संबंधित मुद्दों के प्रति जागरूकता और समझ बढ़ाना है। इनमें शामिल हैं:
- कार्यशालाएं और सेमिनार: शिक्षण संस्थान और सरकारी निकाय सुशासन के सिद्धांतों और व्यवहारों पर चर्चा के लिए कार्यक्रम आयोजित करते हैं।
- डिजिटल पहल: ई-गवर्नेंस परियोजनाओं और डिजिटल साक्षरता अभियानों को उजागर किया जाता है ताकि शासन में प्रौद्योगिकी की भूमिका को रेखांकित किया जा सके।
- सामुदायिक सहभागिता: स्थानीय कार्यक्रम नागरिकों को शासन और नीति निर्माण प्रक्रिया में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।
- अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजलि: उनके जीवन और योगदान का सम्मान करने के लिए श्रद्धांजलि और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
सुशासन से जुड़े सरकारी प्रयास
भारत सरकार ने वर्षों से सुशासन के आदर्शों को ध्यान में रखते हुए कई कार्यक्रम शुरू किए हैं, जिनमें शामिल हैं:
- डिजिटल इंडिया: भारत को डिजिटल रूप से सशक्त समाज और ज्ञान अर्थव्यवस्था में बदलने का अभियान।
- स्वच्छ भारत अभियान: स्वच्छता और सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार के लिए एक राष्ट्रीय स्वच्छता अभियान।
- जन धन योजना: बैंकिंग सेवाओं को अप्राप्त जनसंख्या तक पहुँचाने के लिए एक वित्तीय समावेशन कार्यक्रम।
- मेक इन इंडिया: निर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने और रोजगार के अवसर पैदा करने की पहल।
सुशासन की चुनौतियां
हालांकि प्रगति हुई है, फिर भी भारत में सुशासन प्राप्त करने में कई चुनौतियां हैं, जैसे:
- भ्रष्टाचार: एक स्थायी समस्या जो सार्वजनिक संस्थानों में विश्वास को कमजोर करती है।
- ब्यूरोक्रेटिक अक्षमता: नीतियों के निर्णय लेने और कार्यान्वयन में देरी।
- असमानता: सामाजिक-आर्थिक असमानताएं, जो वंचित समुदायों के लिए संसाधनों और अवसरों तक पहुंच को सीमित करती हैं।
- जागरूकता की कमी: नागरिकों के बीच शासन तंत्र की सीमित समझ।
इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए सरकार और नागरिक समाज दोनों को मिलकर एक समावेशी और उत्तरदायी प्रणाली बनाने का प्रयास करना होगा।
निष्कर्ष
सुशासन दिवस केवल एक वार्षिक उत्सव नहीं है; यह हर नागरिक और संस्था के लिए राष्ट्र की प्रगति में योगदान देने का एक आह्वान है। पारदर्शिता, जवाबदेही और समावेशिता के सिद्धांतों को अपनाकर, भारत एक न्यायपूर्ण और समान समाज की दृष्टि को साकार कर सकता है। अटल बिहारी वाजपेयी की विरासत का जश्न मनाते हुए, हमें सुशासन को प्रोत्साहित करने और उज्ज्वल भविष्य के लिए अपनी प्रतिबद्धता को पुनः स्थापित करना चाहिए।