राष्ट्रीय शिक्षा दिवस हर साल 11 नवंबर को मनाया जाता है। यह दिन स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री और प्रख्यात शिक्षाविद् मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की जयंती के रूप में मनाया जाता है। एक दूरदर्शी नेता, स्वतंत्रता सेनानी और विद्वान, मौलाना आज़ाद ने देश की शिक्षा प्रणाली को आकार देने में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने शिक्षा को सार्वभौमिक बनाने और वैज्ञानिक प्रगति पर जोर दिया। इस दिन का उद्देश्य शिक्षा के महत्व को रेखांकित करना है, जो देश के भविष्य को आकार देने में प्रमुख भूमिका निभाती है। भारत की 65% जनसंख्या 35 वर्ष से कम आयु की है। ऐसे में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और कौशल विकास के अवसर प्रदान करना अत्यंत आवश्यक है।
शिक्षा के माध्यम से भारत का रूपांतरण
भारत सरकार ने शिक्षा तक पहुंच बढ़ाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। संविधान के 86वें संशोधन द्वारा अनुच्छेद 21-A के तहत 6 से 14 वर्ष के बच्चों के लिए मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा को मौलिक अधिकार घोषित किया गया। इसके साथ ही, शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) 2009 ने प्रत्येक बच्चे के लिए गुणवत्ता वाली प्राथमिक शिक्षा सुनिश्चित की।
ऐतिहासिक महत्व
भारत सरकार ने 2008 में 11 नवंबर को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में घोषित किया, ताकि शिक्षा क्षेत्र में मौलाना आज़ाद के योगदान को मान्यता दी जा सके। उन्होंने शिक्षा को सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन का उपकरण मानते हुए कई प्रमुख संस्थानों की नींव रखी। इनमें यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (UGC) की स्थापना और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IITs) व भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) जैसे प्रमुख संस्थानों का निर्माण शामिल है।
मौलाना आज़ाद का मानना था कि शिक्षा लोकतंत्र की नींव है। उनकी नीतियों ने समाज के सभी वर्गों, विशेषकर महिलाओं और हाशिए पर रहने वाले समुदायों के लिए शिक्षा तक पहुंच सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता को दर्शाया।
राष्ट्रीय शिक्षा दिवस का महत्व
राष्ट्रीय शिक्षा दिवस केवल मौलाना आज़ाद को श्रद्धांजलि देने के लिए नहीं बल्कि यह शिक्षा के राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका की याद दिलाता है। इस दिन को देशभर के स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से मनाया जाता है, जैसे:
- सेमिनार और वाद-विवाद प्रतियोगिताएं: शिक्षा से संबंधित समकालीन मुद्दों पर चर्चा।
- कार्यशालाएं और रैलियां: साक्षरता और शिक्षा के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाना।
- निबंध प्रतियोगिताएं और सांस्कृतिक कार्यक्रम: शिक्षा के इतिहास और महत्व को उजागर करना।
- इन गतिविधियों का उद्देश्य छात्रों, शिक्षकों और नीति निर्माताओं को समान और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए मिलकर काम करने के लिए प्रेरित करना है।
वर्तमान चुनौतियां और आगे का रास्ता
हालांकि भारत ने शिक्षा के क्षेत्र में काफी प्रगति की है, लेकिन अभी भी कई चुनौतियां बनी हुई हैं, जैसे शिक्षा तक असमान पहुंच, उच्च ड्रॉपआउट दर और शिक्षा की गुणवत्ता। राष्ट्रीय शिक्षा दिवस इन चुनौतियों पर विचार करने और शैक्षिक सुधार के प्रति राष्ट्र की प्रतिबद्धता को दोहराने का अवसर प्रदान करता है।
प्रमुख सरकारी पहलें
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020
29 जुलाई 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में राष्ट्रीय शिक्षा नीति को मंजूरी दी। इस नीति के तहत 21वीं सदी की जरूरतों के अनुसार भारत की शिक्षा प्रणाली को पुनर्गठित करने का लक्ष्य बनाया गया।
पीएम श्री योजना
7 सितंबर 2022 को शुरू हुई यह योजना 14,500 से अधिक स्कूलों को उन्नत बनाने पर केंद्रित है। यह स्कूल राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के घटकों को प्रदर्शित करेंगे।
समग्र शिक्षा अभियान
1 अप्रैल 2021 को शुरू हुई यह योजना एक समावेशी और समान शिक्षा प्रदान करने का उद्देश्य रखती है।
प्रेरणा कार्यक्रम
जनवरी 2024 में शुरू हुआ यह कार्यक्रम कक्षा 9 से 12 के छात्रों के लिए एक सप्ताह का आवासीय अनुभवात्मक कार्यक्रम है।
उल्लास (नव भारत साक्षरता कार्यक्रम)
यह योजना 2022-2027 के लिए शुरू की गई है और 15 वर्ष और उससे अधिक उम्र के व्यक्तियों को साक्षर बनाने पर केंद्रित है।
निपुण भारत मिशन
5 जुलाई 2021 को लॉन्च किया गया यह मिशन 2026-27 तक ग्रेड 3 के बच्चों को मूलभूत साक्षरता और संख्या ज्ञान दिलाने का लक्ष्य रखता है।
विद्या प्रवेश
29 जुलाई 2021 को शुरू हुई यह पहल ग्रेड 1 में प्रवेश करने वाले बच्चों को स्कूल के माहौल से परिचित कराने का उद्देश्य रखती है।
विद्यांजलि
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किया गया यह कार्यक्रम सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा देता है।
दीक्षा प्लेटफॉर्म
5 सितंबर 2017 को लॉन्च किया गया, यह शिक्षकों के प्रशिक्षण और विकास के लिए एक डिजिटल मंच है।
स्वयं प्लस
27 फरवरी 2024 को शुरू हुआ यह कार्यक्रम उच्च शिक्षा और रोजगार क्षमता में सुधार के लिए नवीन पाठ्यक्रम प्रदान करता है।
निष्ठा कार्यक्रम
21 अगस्त 2019 को शुरू यह पहल शिक्षकों और स्कूल प्रमुखों के पेशेवर विकास को बढ़ावा देती है।
एनआईआरएफ रैंकिंग
यह पहल 29 सितंबर 2015 को शुरू हुई थी और उच्च शिक्षा संस्थानों को रैंकिंग देने के लिए एक पारदर्शी प्रणाली प्रदान करती है।
पीएम-विद्या लक्ष्मी योजना
यह योजना उच्च शिक्षा के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती है, जिसमें शीर्ष संस्थानों के छात्रों को शिक्षा ऋण दिया जाता है।
शिक्षा में निवेश: भविष्य की नींव
2024-25 के बजट में स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग के लिए ₹73,498 करोड़ का प्रावधान किया गया है। इसमें केंद्रीय विद्यालयों के लिए ₹9,302 करोड़ और नवोदय विद्यालयों के लिए ₹5,800 करोड़ का प्रावधान है।
उच्च शिक्षा में प्रगति: AISHE रिपोर्ट 2021-22
भारत सरकार द्वारा जारी AISHE रिपोर्ट में उच्च शिक्षा में छात्र नामांकन में महत्वपूर्ण वृद्धि देखी गई है। महिला नामांकन में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
निष्कर्ष
राष्ट्रीय शिक्षा दिवस शिक्षा की परिवर्तनकारी शक्ति का प्रतीक है। मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के योगदान को याद करते हुए और शिक्षा प्रणाली में सुधार के प्रयासों के माध्यम से, भारत आने वाली पीढ़ियों के लिए एक उज्जवल और समावेशी भविष्य सुनिश्चित कर सकता है।
जैसा कि मौलाना आज़ाद ने कहा था, “दिल से दी गई शिक्षा समाज में क्रांति ला सकती है।” यह दिन गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को हर नागरिक तक पहुंचाने के सामूहिक प्रयासों को प्रेरित करे, जिससे एक अधिक जागरूक और प्रगतिशील राष्ट्र का निर्माण हो सके।
FAQs
प्रश्न 1: राष्ट्रीय शिक्षा दिवस क्यों मनाया जाता है?
उत्तर: यह दिन मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की जयंती पर उनके शिक्षा क्षेत्र में योगदान को सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है।
प्रश्न 2: शिक्षा के क्षेत्र में प्रमुख सरकारी योजनाएं कौन-कौन सी हैं?
उत्तर: राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020, पीएम श्री योजना, समग्र शिक्षा अभियान, निपुण भारत मिशन, विद्या प्रवेश, और दीक्षा प्रमुख योजनाएं हैं।
प्रश्न 3: NEP 2020 का उद्देश्य क्या है?
उत्तर: NEP 2020 का उद्देश्य एक समग्र, समावेशी और 21वीं सदी की जरूरतों के अनुरूप शिक्षा प्रणाली विकसित करना है।
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