किसान दिवस, जिसे हम राष्ट्रीय किसान दिवस के नाम से भी जानते हैं, हर साल 23 दिसंबर को पूरे भारत में मनाया जाता है। यह दिन विशेष रूप से देश के किसानों के योगदान को सम्मान देने और उनके अधिकारों तथा कल्याण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है। भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ और ग्रामीण समृद्धि के प्रमुख आधार किसान हैं। यह तारीख भारत के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की जयंती पर चुनी गई है, जो खुद एक किसान थे और किसानों के हित में बड़े कदम उठाने के लिए जाने जाते हैं।

यह दिन भारत के पांचवें प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। इस लेख में हम इस दिन के महत्व, इसके इतिहास, और चौधरी चरण सिंह के जीवन से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे में जानेंगे।

किसान दिवस का इतिहास

चौधरी चरण सिंह भारत के पांचवें प्रधानमंत्री थे और उनकी नीतियां व कामकाज पूरी तरह से ग्रामीण विकास और कृषि के सुधार पर केंद्रित थीं। उन्होंने किसानों के कल्याण और उनकी समस्याओं को हल करने के लिए कई योजनाएं और सुधार लागू किए। उनके प्रयासों का उद्देश्य भारत की कृषि आधारित अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाना था।

1979 से 1980 तक प्रधानमंत्री रहते हुए, उन्होंने कृषि और ग्रामीण समुदायों के लिए कई नीतियों की शुरुआत की।

भारत गांवों और कृषि अधिशेषों का देश है। देश की लगभग 50% आबादी कृषि पर अपनी आजीविका के लिए निर्भर है। 2001 में, तत्कालीन सरकार ने चौधरी चरण सिंह के कृषि क्षेत्र में योगदान और किसानों के कल्याण के प्रति उनके प्रयासों को सम्मानित करने के लिए उनकी जयंती को किसान दिवस के रूप में मान्यता दी।

तब से हर साल 23 दिसंबर को किसान दिवस मनाया जाता है। इस दिन पूरे देश में जागरूकता अभियान और कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं ताकि लोगों को किसानों की भूमिका और उनके योगदान के प्रति जागरूक किया जा सके।

चौधरी चरण सिंह: जीवन और योगदान

जन्म और पृष्ठभूमि: चौधरी चरण सिंह का जन्म 1902 में उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के नूरपुर गांव में एक किसान परिवार में हुआ था। कृषि परिवार से आने के कारण, वे ग्रामीण और कृषि विकास के प्रबल समर्थक थे। उन्होंने भारत की योजना प्रक्रिया में कृषि को केंद्र में रखने का प्रयास किया।

प्रमुख योगदान:

  • कर्ज मुक्ति विधेयक 1939: यह विधेयक किसानों को साहूकारों से राहत दिलाने के लिए तैयार किया गया था।
  • जमींदारी उन्मूलन: 1952 में उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री के रूप में, उन्होंने जमींदारी प्रथा को समाप्त करने में अहम भूमिका निभाई।
  • भूमि धारण अधिनियम 1960: इस कानून ने भूमि की सीमा निर्धारित करने और इसे पूरे राज्य में समान रूप से लागू करने का काम किया।
  • किसान ट्रस्ट की स्थापना (1978): यह एक गैर-राजनीतिक और गैर-लाभकारी संस्था थी, जिसका उद्देश्य ग्रामीण जनता को अन्याय के खिलाफ शिक्षित करना और उनमें एकजुटता पैदा करना था।
  • सरल जीवन और लेखन: वे सादगी में विश्वास रखते थे और अपने खाली समय में पढ़ने और लिखने में व्यस्त रहते थे। उनके प्रसिद्ध कार्यों में “को-ऑपरेटिव फार्मिंग एक्स-रेड,” “इंडिया’ज पॉवर्टी एंड इट्स सॉल्यूशन,” और “एबोलिशन ऑफ जमींदारी” शामिल हैं।

व्यक्तित्व और नेतृत्व:

चौधरी चरण सिंह ने उत्तर प्रदेश में कई प्रशासनिक पदों पर कार्य किया और अपनी ईमानदारी, कठोर अनुशासन, और भ्रष्टाचार के प्रति असहिष्णुता के लिए जाने गए। वे एक कुशल वक्ता और दूरदर्शी नेता थे, जिन्होंने लाखों किसानों के बीच गहरी प्रतिष्ठा अर्जित की।

चौधरी चरण सिंह की शिक्षाएं और दृष्टिकोण

चौ0 चरण सिंह का मानना था कि एक मजबूत राष्ट्र के लिए किसानों का उत्थान बेहद जरूरी है। उन्होंने हमेशा छोटे और सीमांत किसानों के लिए नीतियां बनाने पर जोर दिया। उनकी नीतियों का मुख्य उद्देश्य था:

  • किसानों को कर्ज़मुक्त बनाना
  • उचित मूल्य पर फसल खरीद सुनिश्चित करना
  • सिंचाई और अन्य कृषि सुविधाओं का विकास करना

किसान दिवस का महत्व

भारत एक कृषि प्रधान देश है, जहां की लगभग 60% आबादी अपनी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर है। किसानों के परिश्रम और योगदान के बिना देश की खाद्य सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता की कल्पना भी नहीं की जा सकती।

राष्ट्रीय किसान दिवस का उद्देश्य न केवल किसानों के बलिदानों और समर्पण को पहचानना है, बल्कि उनकी सामाजिक और आर्थिक भलाई सुनिश्चित करने के लिए जागरूकता फैलाना भी है।

  • इस दिन किसानों को आधुनिक कृषि तकनीकों और ज्ञान के प्रति प्रेरित किया जाता है।
  • कृषि उत्पादकता बढ़ाने के लिए नवीनतम जानकारी साझा की जाती है।
  • यह दिन समाज और सरकार को किसानों की समस्याओं और उनके समाधान पर विचार करने का मौका भी देता है।

विभिन्न देशों में किसान दिवस 

राष्ट्रीय किसान दिवस, खासकर कृषि और किसान-प्रधान राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और मध्य प्रदेश में बहुत प्रसिद्ध है।

किसानों के सम्मान में दुनिया के विभिन्न देशों में भी इस दिन को अलग-अलग तिथियों पर मनाया जाता है। 

  • अमेरिका:
    • अमेरिका में राष्ट्रीय किसान दिवस हर साल 12 अक्टूबर को मनाया जाता है। यह दिन पूरे अमेरिकी इतिहास में किसानों के योगदान को सम्मानित करने और उनकी कड़ी मेहनत को श्रद्धांजलि देने के लिए मनाया जाता है।
  • घाना:
    • घाना में राष्ट्रीय किसान दिवस किसानों और मछुआरों के लिए एक वार्षिक उत्सव है, जिसे दिसंबर के पहले शुक्रवार को मनाया जाता है। इस अवसर पर घाना का खाद्य और कृषि मंत्रालय उनकी प्रथाओं और उत्पादन के आधार पर किसानों और मछुआरों को विशेष पुरस्कार देकर सम्मानित करता है।
  • भारत:
    • भारत में राष्ट्रीय किसान दिवस हर साल 23 दिसंबर को भारत के 5वें प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। चौधरी चरण सिंह एक किसान नेता थे, जिन्होंने भारतीय किसानों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए कई नीतियों की शुरुआत की।
    • इस दिन विभिन्न कार्यक्रमों, वाद-विवादों, संगोष्ठियों, प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिताओं, चर्चाओं, कार्यशालाओं, प्रदर्शनियों, और निबंध लेखन प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है।
  • नेपाल:
    • भारत का पड़ोसी देश नेपाल, जिसकी कुल जनसंख्या का लगभग 65% कृषि पर निर्भर है, वहां भी राष्ट्रीय किसान दिवस बड़े सम्मान के साथ मनाया जाता है। किसान नेता देव धवल द्वारा आरंभ किया गया यह दिवस नेपाली कैलेंडर के अनुसार जेष्ठ महीने की 2वीं तारीख को मनाया जाता है। इसे एफएससी रूपन्देही और विभिन्न एनजीओ के सहयोग से आयोजित किया जाता है।
  • जाम्बिया:
    • जाम्बिया में राष्ट्रीय किसान दिवस हर साल अगस्त के पहले सोमवार को मनाया जाता है।

किसान दिवस का मुख्य उद्देश्य है

  • किसानों के संघर्षों और योगदान को समझना
  • किसानों की समस्याओं को उजागर करना और समाधान पर चर्चा करना
  • कृषि क्षेत्र में नई तकनीकों और सुधारों को बढ़ावा देना
  • युवाओं को कृषि के क्षेत्र में योगदान करने के लिए प्रेरित करना

नतीजा

किसान दिवस न केवल एक सम्मान का दिन है, बल्कि यह हमें याद दिलाता है कि कृषि और किसानों का विकास देश की प्रगति के लिए कितना महत्वपूर्ण है। चौधरी चरण सिंह के विचार और नीतियां आज भी प्रेरणा का स्रोत हैं।

इस दिन, हमें यह प्रण लेना चाहिए कि हम अपने किसानों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे।
“जय जवान, जय किसान” के इस नारे को सार्थक बनाना हमारा कर्तव्य है।

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