भारत एक लोकतांत्रिक देश है जहाँ शासन की जड़ें जन-जन तक पहुँचाने के लिए पंचायती राज व्यवस्था को लागू किया गया है। गाँवों के विकास और ग्रामीण जनता की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए पंचायती राज व्यवस्था एक अत्यंत महत्वपूर्ण प्रणाली है। इसी व्यवस्था की महत्ता और इसके योगदान को सम्मान देने के लिए प्रत्येक वर्ष 24 अप्रैल को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस (National Panchayati Raj Day) मनाया जाता है।

राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस का इतिहास

राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस की शुरुआत 24 अप्रैल 1993 को हुई, जब 73वां संविधान संशोधन अधिनियम लागू हुआ। इस संशोधन के माध्यम से पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा मिला और पूरे देश में त्रिस्तरीय पंचायत प्रणाली को अपनाया गया।

भारत के तत्कालीन प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह ने 2010 में पहली बार इस दिन को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के रूप में घोषित किया और तब से हर साल 24 अप्रैल को यह दिवस मनाया जाता है।

73वां संविधान संशोधन और उसका महत्व

यह संशोधन पंचायती राज संस्थाओं को सशक्त बनाने और उन्हें संवैधानिक मान्यता देने के लिए लाया गया था। इसके प्रमुख प्रावधान इस प्रकार हैं:

  • त्रिस्तरीय संरचना – ग्राम पंचायत, पंचायत समिति (ब्लॉक स्तर), और जिला परिषद।
  • आरक्षण की व्यवस्था – महिलाओं, अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए सीटों का आरक्षण।
  • नियमित चुनाव – हर पाँच वर्षों में पंचायत चुनाव अनिवार्य किए गए।
  • वित्तीय स्वायत्तता – पंचायतों को वित्तीय अधिकार दिए गए।
  • राज्य वित्त आयोग और राज्य चुनाव आयोग की स्थापना।

राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस का उद्देश्य

इस दिन का मुख्य उद्देश्य है:

  • पंचायती राज व्यवस्था की मजबूती को प्रोत्साहित करना।
  • ग्रामीण विकास में पंचायतों की भूमिका को सराहना।
  • लोगों को स्थानीय स्वशासन के महत्व के प्रति जागरूक करना।
  • पंचायत प्रतिनिधियों को सम्मानित करना और उन्हें मार्गदर्शन देना।

पंचायती राज का वर्तमान और भविष्य

आज के समय में डिजिटल इंडिया पहल के अंतर्गत पंचायतों को तकनीकी रूप से सशक्त किया जा रहा है। ई-पंचायत परियोजना, SVAMITVA योजना, और ऑनलाइन कार्यप्रणाली के माध्यम से पारदर्शिता और कुशलता को बढ़ावा दिया जा रहा है।

भविष्य में पंचायती राज संस्थाएँ ग्रामीण आत्मनिर्भरता, शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता, और रोजगार के क्षेत्रों में अहम भूमिका निभाएंगी।

कैसे मनाया जाता है यह दिवस?

राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस पर भारत सरकार, विशेषकर पंचायती राज मंत्रालय द्वारा विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इसमें शामिल हैं:

  • ग्राम पंचायतों की उपलब्धियों को साझा करना।
  • उत्कृष्ट पंचायतों को पुरस्कार देना (जैसे नानाजी देशमुख राष्ट्रीय गौरव ग्राम सभा पुरस्कार, देवीलाल पुरस्कार, आदि)।
  • ग्रामीण विकास से जुड़े मुद्दों पर कार्यशालाएं और संगोष्ठियाँ।
  • डिजिटल पंचायत और ई-गवर्नेंस को बढ़ावा देने वाले कार्यक्रम।

निष्कर्ष

राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस न केवल एक स्मृति दिवस है, बल्कि यह दिन हमें हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों और ‘जनभागीदारी से जनकल्याण’ की दिशा में किए गए प्रयासों की याद दिलाता है। ग्राम स्तर पर शासन को सशक्त और उत्तरदायी बनाकर ही भारत के समग्र विकास का सपना साकार किया जा सकता है।

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