राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस हर साल 2 दिसंबर को मनाया जाता है। यह दिन 1984 में भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों की याद में मनाया जाता है, जिसमें हजारों लोगों की जान गई और लाखों लोग दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याओं का शिकार हुए। इसे अब तक की सबसे भीषण औद्योगिक आपदा माना जाता है। इस दिन का उद्देश्य लोगों को प्रदूषण के खतरों के प्रति जागरूक करना, इसके दुष्प्रभावों को कम करने के उपाय सुझाना और पर्यावरण संरक्षण के लिए कदम उठाने की आवश्यकता को रेखांकित करना है।

राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस का इतिहास

भोपाल गैस त्रासदी 2-3 दिसंबर 1984 की रात को हुई थी, जब यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड (UCIL) के प्लांट से मिथाइल आइसोसाइनेट (MIC) गैस का रिसाव हुआ। इस भयावह घटना में हजारों लोगों की जान गई, और लाखों लोग लंबे समय तक गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का शिकार हुए। यह त्रासदी न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व के लिए एक चेतावनी थी कि प्रदूषण और औद्योगिक सुरक्षा को गंभीरता से लेना कितना महत्वपूर्ण है।

राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस 2024

राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस हर साल 2 दिसंबर को मनाया जाता है। यह दिन 2-3 दिसंबर 1984 की भोपाल गैस त्रासदी की वर्षगांठ के रूप में चिह्नित है। इस त्रासदी में, मध्य प्रदेश के भोपाल में यूनियन कार्बाइड संयंत्र से घातक मिथाइल आइसोसाइनेट (MIC) गैस का रिसाव हुआ। इस त्रासदी ने प्रदूषण नियंत्रण के लिए सख्त कानूनों और बेहतर औद्योगिक सुरक्षा प्रोटोकॉल की आवश्यकता को उजागर किया।

राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस के उद्देश्य

राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं:

  • प्रदूषण के खतरों के प्रति जागरूकता फैलाना: वायु, जल, और ध्वनि प्रदूषण के गंभीर प्रभावों के बारे में जानकारी देना।
  • स्वच्छ और स्वस्थ पर्यावरण को बढ़ावा देना: पर्यावरणीय सुधार के उपायों को लागू करने के लिए प्रेरित करना।
  • औद्योगिक आपदाओं को रोकना: औद्योगिक क्षेत्रों में सुरक्षा मानकों को लागू करने की आवश्यकता को रेखांकित करना।
  • सरकार और नागरिकों को एकजुट करना: प्रदूषण नियंत्रण के लिए नीतियों और उपायों पर ध्यान केंद्रित करना।
  • नवाचार को बढ़ावा देना: पर्यावरण अनुकूल तकनीकों और टिकाऊ प्रथाओं को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना।
  • कानूनों को मजबूत करना: प्रदूषण नियंत्रण कानूनों को सख्ती से लागू करने का समर्थन करना ताकि सार्वजनिक स्वास्थ्य और पर्यावरण की रक्षा हो सके।

प्रमुख तथ्य

  • भोपाल गैस त्रासदी में मृत्यु: अनुमानित 15,000 से अधिक लोगों की जान गई, जबकि 5 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए।
  • प्रदूषण के प्रकार: वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, मिट्टी प्रदूषण, और ध्वनि प्रदूषण।
  • भारत में प्रदूषण नियंत्रण के लिए संस्थान: केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड।
  • प्रदूषण का प्रभाव: श्वसन समस्याएं, हृदय रोग, कैंसर, जलवायु परिवर्तन, और जैव विविधता का नुकसान।
  • प्रमुख कानून: पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986; वायु (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1981; जल (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1974।

प्रदूषण नियंत्रण के उपाय

  • स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों का उपयोग: सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा आदि।
  • वाहनों में प्रदूषण नियंत्रण: ईवी (इलेक्ट्रिक वाहन) अपनाना।
  • कचरा प्रबंधन: जैविक और अजैविक कचरे को अलग करना।
  • पुनर्चक्रण (रिसाइक्लिंग): उपयोग की गई वस्तुओं को पुनः उपयोग के लिए तैयार करना।
  • जनजागरूकता अभियान: स्कूलों, कॉलेजों और समुदायों में जागरूकता फैलाना।

भारत में प्रदूषण नियंत्रण के लिए कानून

प्रदूषण को नियंत्रित करने और पर्यावरणीय स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए कई कानून और नीतियां लागू की हैं। इनमें से कुछ प्रमुख कानून निम्नलिखित हैं:

  • वायु (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1981: उद्योगों और वाहनों से उत्सर्जन को नियंत्रित कर वायु प्रदूषण को कम करने पर ध्यान केंद्रित करता है।
  • जल (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1974: जल प्रदूषण को रोकने और अपशिष्ट जल के निर्वहन की निगरानी करने के लिए बनाया गया।
  • पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986: भोपाल गैस त्रासदी के बाद लागू किया गया, यह कानून प्रदूषण करने वाली इकाइयों के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार देता है।
  • प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016: प्लास्टिक कचरे के उचित निपटान और पुनर्चक्रण को बढ़ावा देता है।
  • राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT), 2010: पर्यावरणीय विवादों को सुलझाने के लिए एक मंच प्रदान करता है।
  • राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP), 2019: 2024 तक PM2.5 स्तरों को 20-30% तक कम करने का लक्ष्य रखता है और 2026 तक 131 गैर-अनुपालन शहरों में सुधार की योजना है।

भारत की प्रदूषण संकट: प्रमुख तथ्य और आंकड़े

भारत दुनिया के सबसे प्रदूषित देशों में दूसरे स्थान पर है। प्रदूषण का स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता है और औसतन एक भारतीय की जीवन प्रत्याशा को 5.3 साल तक कम कर देता है।

  • हर भारतीय पर असर: देश के सभी 1.3 अरब लोग WHO की PM2.5 के लिए निर्धारित मानकों से अधिक प्रदूषण स्तरों पर जी रहे हैं।
  • प्रदूषण का सबसे बड़ा खतरा: PM2.5 प्रदूषण भारत में स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़ा खतरा है।
  • प्रदूषण में वृद्धि: 1998 से 2021 तक, PM2.5 स्तरों में 67.7% की वृद्धि हुई है।
  • क्षेत्रीय प्रभाव: उत्तरी मैदानों में रहने वाले लोग वर्तमान प्रदूषण स्तरों पर अपनी जीवन प्रत्याशा से औसतन 8 वर्ष खो सकते हैं।

दिल्ली में प्रदूषण 

दिल्ली भारत में प्रदूषण संकट की गंभीरता का उदाहरण है।

  • वर्तमान स्थिति: कई दिनों में, दिल्ली के वायु गुणवत्ता निगरानी केंद्र AQI को 400 से ऊपर “गंभीर” श्रेणी में दर्ज करते हैं।
  • प्रमुख कारण:
    • वाहनों से उत्सर्जन: दिल्ली के प्रदूषण का 16.4%।
    • पराली जलाना: प्रदूषण में 11% का योगदान।
    • मौसमी कारक: धीमी हवा और कम तापमान प्रदूषकों को जमीन के करीब फंसा देते हैं।

प्रदूषण नियंत्रण के लिए दिल्ली में उठाए गए कदम

  • ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP): प्रदूषण स्तर के आधार पर सख्त उपाय लागू करता है।
  • ऑड-ईवन वाहन नियम: सड़कों पर वाहनों की संख्या सीमित करता है।
  • इलेक्ट्रिक वाहनों का प्रोत्साहन: जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करता है।
  • स्मॉग टॉवर: प्रदूषकों को छानने के लिए परियोजनाएं।
  • पब्लिक ट्रांसपोर्ट का विस्तार: मेट्रो सेवाओं और इलेक्ट्रिक बसों का उपयोग।

भारत में प्रदुषण नियंत्रण के लिए बनाए गए अधिनियम/नियम

अधिनियम/नियमवर्षउद्देश्य
पानी (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम1974पानी के प्रदूषण को रोकने और नियंत्रित करने तथा पानी की शुद्धता बनाए रखने या पुनर्स्थापित करने के लिए।
पानी (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) उपकर अधिनियम1977प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों द्वारा प्रदूषण नियंत्रण के प्रयासों के लिए जल उपभोग पर उपकर लगाने के लिए।
वायु (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम1981वायु प्रदूषण को रोकने और नियंत्रित करने तथा वायु गुणवत्ता मानक स्थापित करने के लिए।
पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम1986पर्यावरण में उत्सर्जन और निर्वहन के मानक तय करने और पर्यावरणीय प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए।
खतरनाक रासायनिक निर्माण, भंडारण और आयात नियम1989खतरनाक रसायनों के हैंडलिंग और भंडारण को नियंत्रित करने तथा रासायनिक उद्योगों में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए।
खतरनाक कचरा (प्रबंधन और हैंडलिंग) नियम1989खतरनाक कचरे के उत्पादन, भंडारण, परिवहन और निपटान के प्रबंधन के लिए।
खतरनाक सूक्ष्मजीव और आनुवंशिक रूप से इंजीनियर जीवों या कोशिकाओं के निर्माण, भंडारण, आयात, निर्यात और भंडारण नियम1989आनुवंशिक रूप से इंजीनियर जीवों और खतरनाक सूक्ष्मजीवों के सुरक्षित उपयोग को नियंत्रित करने के लिए।
रासायनिक दुर्घटना (आपातकालीन योजना, तैयारी और प्रतिक्रिया) नियम1996रासायनिक दुर्घटनाओं से निपटने और आपातकालीन योजना तथा प्रतिक्रिया के लिए तंत्र स्थापित करने के लिए।
बायो-मेडिकल कचरा (प्रबंधन और हैंडलिंग) नियम1998पर्यावरण के अनुकूल तरीके से बायो-मेडिकल कचरे के प्रबंधन और निपटान के लिए।
रीसाइकिल्ड प्लास्टिक निर्माण और उपयोग नियम1999पर्यावरणीय खतरों को रोकने के लिए प्लास्टिक के उपयोग, निर्माण और रीसाइक्लिंग को नियंत्रित करने के लिए।
ओजोन परत को समाप्त करने वाले पदार्थ (नियमन) नियम2000मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के अनुसार ओजोन परत को समाप्त करने वाले पदार्थों को नियंत्रित और विनियमित करने के लिए।
ध्वनि प्रदूषण (नियमन और नियंत्रण) नियम2000औद्योगिक, वाणिज्यिक और आवासीय स्रोतों से ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित और विनियमित करने के लिए।
नगरपालिका ठोस कचरा (प्रबंधन और हैंडलिंग) नियम2000नगरपालिका ठोस कचरे के उचित प्रबंधन और हैंडलिंग सुनिश्चित करने के लिए।
बैटरियों (प्रबंधन और हैंडलिंग) नियम2001उपयोग की गई बैटरियों के संग्रह, रीसाइक्लिंग और निपटान को नियंत्रित करने के लिए।
महाराष्ट्र जैव-अपघटनीय कचरा (नियंत्रण) अध्यादेश2006महाराष्ट्र में जैव-अपघटनीय कचरे के प्रबंधन और नियंत्रण के लिए।
पर्यावरण प्रभाव आकलन अधिसूचना2006प्रस्तावित परियोजनाओं और गतिविधियों के पर्यावरणीय प्रभाव का आकलन करने और शमन उपाय लागू करने के लिए।
नगरपालिका ठोस कचरा प्रबंधन और हैंडलिंग नियम2016नगरपालिका ठोस कचरे के वैज्ञानिक और स्थायी प्रबंधन को सुनिश्चित करने के लिए।

FAQs  

1. राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस क्यों मनाया जाता है?
राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस 1984 की भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों को श्रद्धांजलि देने और प्रदूषण के खतरों के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए मनाया जाता है।

2. प्रदूषण के मुख्य कारण क्या हैं?

  • औद्योगिक उत्सर्जन।
  • वाहन प्रदूषण।
  • प्लास्टिक कचरा।
  • प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन।

3. भारत में प्रदूषण नियंत्रण के लिए कौन से कानून हैं?

  • वायु (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1981।
  • जल (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1974।
  • पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986।

4. प्रदूषण के दुष्प्रभाव क्या हैं?

  • स्वास्थ्य समस्याएं जैसे श्वसन रोग और कैंसर।
  • जलवायु परिवर्तन।
  • जैव विविधता की हानि।

5. प्रदूषण नियंत्रण में आम नागरिक कैसे योगदान दे सकते हैं?

  • सार्वजनिक परिवहन का उपयोग।
  • प्लास्टिक का कम उपयोग।
  • कचरे का सही तरीके से निपटान।
  • वृक्षारोपण।

निष्कर्ष

प्रदूषण एक वैश्विक समस्या है जो सामूहिक कार्रवाई की मांग करती है। राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस 2024 जागरूकता बढ़ाने और बदलाव लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। सख्त कानूनों, नवीन तकनीकों और जन भागीदारी के माध्यम से भारत प्रदूषण को नियंत्रित कर सकता है और एक स्वच्छ और स्वस्थ भविष्य की ओर बढ़ सकता है।

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