बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) द्वारा आयोजित 70वीं प्रीलिम्स परीक्षा में नॉर्मलाइजेशन के नियम को लेकर हाल ही में काफी विवाद उत्पन्न हुआ है। 

इस लेख में हम जानेंगे कि नॉर्मलाईजेशन क्या है, इसके पीछे का तर्क और अभ्यर्थियों की चिंताएं क्या हैं?

नॉर्मलाईजेशन की परिभाषा

नॉर्मलाईजेशन एक प्रक्रिया है जिसका उपयोग तब किया जाता है जब एक परीक्षा को विभिन्न समय पर या विभिन्न शर्तों में आयोजित किया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी परीक्षार्थियों को समान अवसर मिले, भले ही उनकी परीक्षा का स्तर अलग-अलग हो।

बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा लागू नॉर्मलाइजेशन के अनुसार, जब एक परीक्षा में दो या उससे अधिक पाली (Shift) में प्रश्न पूछे जाते हैं, तो यह संभव है कि एक पाली में प्रश्न कठिन हो सकते हैं जबकि दूसरी पाली में प्रश्न आसान हो सकते हैं। ऐसे में, नॉर्मलाईजेशन के माध्यम से कठिन पाली के अंकों को आसान पाली के अंकों के साथ समायोजित किया जाता है।

विवाद का कारण

हालांकि, इस नियम को लेकर अभ्यर्थियों में भारी असंतोष देखा जा रहा है। कई छात्रों का मानना है कि:

  • समान ज्ञान: नॉर्मलाईजेशन से यह धारणा बनती है कि सभी परीक्षार्थियों की ज्ञान की क्षमता समान नहीं होती। जो छात्र कठिन प्रश्नों का सामना करते हैं, उनके अंक उनके ज्ञान के अनुसार नहीं मिलते।
  • अन्यायपूर्ण परिणाम: छात्र यह भी मानते हैं कि यदि किसी पाली में अधिक अंक प्राप्त करने वाले छात्रों के अंकों को बढ़ाया जाता है, तो यह उन छात्रों के लिए अन्याय होगा जिन्होंने कठिन प्रश्नों का सही उत्तर दिया।
  • आंदोलन की धमकी: अभ्यर्थियों ने इस नियम को वापस लेने की मांग करते हुए आंदोलन करने की भी बात की है।

नॉर्मलाईजेशन का कार्यप्रणाली

BPSC परीक्षा में नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया निम्नलिखित चरणों में काम करती है:

  1. परीक्षा का आयोजन: जब परीक्षा एक से अधिक पाली में होती है।
  2. अंक निर्धारण: प्रत्येक पाली के लिए प्राप्त अंकों का मूल्यांकन किया जाता है।
  3. समीकरण: आसान पाली के अंकों को कठिन पाली के अंकों के साथ समायोजित किया जाता है ताकि सभी परीक्षार्थियों को समान स्तर पर अंक मिल सकें।
  4. अंतिम परिणाम: समायोजित अंकों के आधार पर अंतिम परिणाम घोषित किया जाता है।

निष्कर्ष

हालांकि, इसके कार्यान्वयन और प्रभावीता पर सवाल उठ रहे हैं। अभ्यर्थियों की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए आयोग को इस प्रक्रिया पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता हो सकती है।

इस विषय पर आगे क्या निर्णय लिया जाएगा, यह देखना होगा। अगर आप BPSC परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं, तो इस विषय पर अपडेट रहना आवश्यक होगा।

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