“एक राष्ट्र एक स्वास्थ्य प्रणाली” एक ऐसी अवधारणा है जो भारत समेत कई देशों में तेजी से लोकप्रिय हो रही है। इस प्रणाली में सभी नागरिकों को समान और सस्ती स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने की परिकल्पना की गई है, चाहे वे देश में कहीं भी रहते हों। इस लेख में, हम इस अवधारणा को विस्तार से समझेंगे और इसके फायदे, चुनौतियों और भारत में इसके कार्यान्वयन पर चर्चा करेंगे।
एक राष्ट्र एक स्वास्थ्य प्रणाली क्या है?
यह प्रणाली एक एकीकृत स्वास्थ्य सेवा प्रणाली है जो पूरे देश में एक समान मानकों और सेवाओं को सुनिश्चित करती है। इसका उद्देश्य सभी नागरिकों को गुणवत्तापूर्ण और सस्ती स्वास्थ्य सेवा प्रदान करना है। इसमें प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों से लेकर अस्पतालों तक सभी स्वास्थ्य सुविधाएँ शामिल हैं।
एक राष्ट्र, एक स्वास्थ्य नीति की आवश्यकता
भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र की सबसे बुनियादी ज़रूरत चार मुख्य मुद्दों पर काम करना है: एक राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणाली की शुरुआत, स्वास्थ्य शिक्षा, प्रशिक्षण, रोजगार और पीजी डिग्री पर ध्यान केंद्रित करना। कोरोना महामारी के दौरान शहरी अस्पतालों में भीड़ और ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य संसाधनों की कमी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि हर जिले में पीजी सीटों वाले मेडिकल कॉलेजों की आवश्यकता है। इससे स्थानीय डॉक्टर उसी क्षेत्र में रह सकेंगे और आर्थिक विकास भी होगा। नई शिक्षा नीति में चिकित्सा शिक्षा को बुनियादी शिक्षा से जोड़ने के महत्व पर भी प्रकाश डाला गया है।
एक राष्ट्र एक स्वास्थ्य प्रणाली के लाभ
- समानता: यह प्रणाली सभी नागरिकों को समान स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करके सामाजिक समानता को बढ़ावा देती है।
- दक्षता: संसाधनों का कुशलतापूर्वक उपयोग करके लागत को कम किया जा सकता है।
- गुणवत्ता: समान मानकों और प्रोटोकॉल का पालन करके स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है।
- पहुँच: दूरदराज के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को भी स्वास्थ्य सेवाएँ आसानी से उपलब्ध हो सकती हैं।
- आपदा प्रबंधन: आपदाओं के दौरान एक एकीकृत प्रणाली बेहतर तरीके से प्रतिक्रिया कर सकती है।
एक राष्ट्र एक स्वास्थ्य प्रणाली की चुनौतियाँ
- विविधता: भारत की भौगोलिक और सामाजिक विविधता के कारण एक समान प्रणाली को लागू करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
- संसाधन: ऐसी प्रणाली को लागू करने के लिए बड़े पैमाने पर संसाधनों की आवश्यकता होती है।
- बुनियादी ढाँचा: कई क्षेत्रों में अभी भी स्वास्थ्य बुनियादी ढाँचे की कमी है।
- मानव संसाधन: प्रशिक्षित चिकित्सकों और स्वास्थ्य कर्मियों की पर्याप्त संख्या की कमी हो सकती है।
भारत में एक राष्ट्र एक स्वास्थ्य प्रणाली का कार्यान्वयन
भारत सरकार ने आयुष्मान भारत जैसी पहलों के माध्यम से एक राष्ट्र एक स्वास्थ्य प्रणाली की दिशा में प्रयास किए हैं। हालांकि, अभी भी कई चुनौतियां हैं जिन्हें दूर करने की आवश्यकता है:
- प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को मजबूत करना: इन केंद्रों को पर्याप्त रूप से सुसज्जित और स्टाफ युक्त होना चाहिए।
- डिजिटल स्वास्थ्य रिकॉर्ड: एक डिजिटल स्वास्थ्य रिकॉर्ड प्रणाली विकसित करें जो सभी स्वास्थ्य सुविधाओं को जोड़े।
- मानव संसाधन विकास: डॉक्टरों और अन्य स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण पर ध्यान दें।
- निजी क्षेत्र की भागीदारी: स्वास्थ्य सेवा प्रावधान में निजी क्षेत्र को शामिल करें।
एकीकृत स्वास्थ्य नीति
एकीकृत स्वास्थ्य नीति को लागू करने के लिए, सार्वजनिक स्वास्थ्य संरचना का पुनर्गठन करना आवश्यक है। पोषण, मानसिक स्वास्थ्य, सामाजिक न्याय, सार्वजनिक स्वास्थ्य, जल जीवन मिशन और सामाजिक कल्याण जैसे विभागों को एक में एकीकृत किया जाना चाहिए। इससे सरकारी प्रयास एकरूपता के साथ आगे बढ़ेंगे और सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार होगा।
निष्कर्ष
“एक राष्ट्र एक स्वास्थ्य प्रणाली” एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य है जो भारत को कई लाभ पहुंचा सकता है। हालांकि, इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कई चुनौतियों को दूर करने की आवश्यकता है। यह लक्ष्य सरकार, निजी क्षेत्र और नागरिकों के साथ मिलकर काम करके ही हासिल किया जा सकता है।
अधिक जानकारी के लिए आप
- आयुष्मान भारत की आधिकारिक वेबसाइट और
- विश्व स्वास्थ्य संगठन की वेबसाइट पर जा सकते हैं।
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