हर साल 26 मार्च को पर्पल डे के रूप में मनाया जाता है, जो एपिलेप्सी (मिर्गी) के बारे में जागरूकता बढ़ाने का एक वैश्विक अभियान है। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य मिर्गी से पीड़ित लोगों के प्रति सहानुभूति दिखाना और इस बीमारी के प्रति समाज में फैले मिथकों को दूर करना है।

मिर्गी क्या है?

मिर्गी एक न्यूरोलॉजिकल विकार (तंत्रिका तंत्र की बीमारी) है, जिसमें मस्तिष्क की असामान्य विद्युत गतिविधियों के कारण दौरे (सीजर्स) आते हैं। यह एक पुरानी बीमारी है, जो किसी भी उम्र के व्यक्ति को प्रभावित कर सकती है।

इतिहास

मिर्गी का उल्लेख प्राचीन चिकित्सा ग्रंथों में भी मिलता है। हिप्पोक्रेट्स (460-370 ईसा पूर्व), जिन्हें चिकित्सा का जनक माना जाता है, उन्होंने इसे एक मस्तिष्क विकार बताया था। पहले इसे आध्यात्मिक या दैवीय शक्ति से जुड़ा माना जाता था, लेकिन आधुनिक विज्ञान ने इसे एक चिकित्सकीय स्थिति के रूप में स्वीकार किया है।

मिर्गी के कारण

इसके विभिन्न कारण हो सकते हैं:

  • मस्तिष्क की चोट (सिर पर गंभीर चोट लगना)
  • अनुवांशिक (जेनेटिक) कारण
  • स्ट्रोक या ब्रेन ट्यूमर
  • संक्रामक रोग (जैसे मेनिन्जाइटिस, एन्सेफलाइटिस)
  • ऑक्सीजन की कमी (जन्म के समय)
  • अत्यधिक शराब या ड्रग्स का सेवन

मिर्गी के लक्षण

  • अचानक झटके (दौरे) आना
  • अचानक बेहोशी
  • असामान्य हरकतें करना
  • आंखों का एक ही जगह ठहर जाना
  • सिर में दर्द और उलझन महसूस होना
  • मांसपेशियों का अकड़ना या ढीला पड़ जाना

मिर्गी के नुकसान

यदि मिर्गी का सही समय पर इलाज न किया जाए, तो यह गंभीर हो सकता है। इसके नुकसान:

  • मस्तिष्क को स्थायी नुकसान हो सकता है
  • याददाश्त और मानसिक स्थिति प्रभावित हो सकती है
  • जीवन की गुणवत्ता खराब हो सकती है
  • काम करने की क्षमता पर प्रभाव पड़ सकता है

मिर्गी की रोकथाम और सावधानियां

  • नियमित रूप से चिकित्सकीय जांच करवाना
  • नींद पूरी लेना और तनाव कम करना
  • नियमित रूप से दवाइयाँ लेना
  • मिर्गी के ट्रिगर कारकों से बचना (जैसे तेज रोशनी, नींद की कमी)
  • शराब और नशीली चीजों से परहेज करना
  • मिर्गी के मरीजों को अकेले तैराकी या वाहन चलाने से बचना चाहिए

मिर्गी का इलाज

इसका कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन इसे दवाइयों और सर्जरी के माध्यम से नियंत्रित किया जा सकता है।

  • एंटी-एपिलेप्टिक दवाइयाँ (AEDs)
  • न्यूरोस्टिमुलेशन थेरेपी
  • कीटोजेनिक डाइट (कम कार्बोहाइड्रेट, उच्च वसा वाला आहार)
  • सर्जरी (अगर दवाइयाँ कारगर न हों)

मिर्गी की वैक्सीन

मिर्गी के लिए कोई विशेष वैक्सीन उपलब्ध नहीं है, लेकिन टीकाकरण (जैसे MMR वैक्सीन) कुछ मामलों में मिर्गी के संभावित कारणों को रोक सकता है।

पर्पल डे का इतिहास

पर्पल डे की शुरुआत 2008 में 9 वर्षीय कैसिडी मेगन नाम की कनाडाई लड़की ने की थी, जिसे स्वयं मिर्गी थी। उसने इस दिन को मिर्गी के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए समर्पित किया। कैनडियन एपिलेप्सी एसोसिएशन और एनएफई (नेशनल फाउंडेशन फॉर एपिलेप्सी) ने इसे 2009 में एक वैश्विक अभियान बना दिया।

निष्कर्ष

मिर्गी एक गंभीर लेकिन प्रबंधनीय (मैनेजेबल) बीमारी है। पर्पल डे हमें मिर्गी से ग्रसित लोगों को सहयोग देने और इस बीमारी के प्रति जागरूकता बढ़ाने का अवसर देता है। यदि समय पर सही इलाज और सावधानियाँ बरती जाएँ, तो मिर्गी रोगी भी सामान्य जीवन जी सकते हैं।

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