लोकतांत्रिक व्यवस्था में, कुशल प्रशासन, नीति निर्माण और कार्यान्वयन में सिविल सेवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका है। ये सेवाएँ देश को विकास और प्रगति की ओर ले जाने में अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं।

लोकतंत्र का परिचय

लोकतंत्र एक समतावादी सिद्धांत है जहाँ नागरिक अपने शासकों का चुनाव करते हैं। आधुनिक लोकतंत्र के तीन मुख्य स्तंभ हैं:

  • विधायिका
  • कार्यपालिका
  • न्यायपालिका

सिविल सेवाएँ कार्यपालिका का हिस्सा हैं। जबकि कार्यपालिका के मंत्री अस्थायी होते हैं और उन्हें चुनावों के माध्यम से लोगों द्वारा चुना या प्रतिस्थापित किया जाता है, सिविल सेवक कार्यपालिका का एक स्थायी हिस्सा होते हैं।

सिविल सेवक राजनीतिक कार्यपालिका (मंत्रियों) के प्रति जवाबदेह होते हैं लेकिन वे एक बड़े सरकारी विभाग होते हैं। वे विभिन्न सरकारी विभागों के स्थायी कर्मचारी होते हैं और प्रशासनिक विशेषज्ञता में कुशल होते हैं। उन्हें अक्सर नौकरशाही या सार्वजनिक सेवा के रूप में भी जाना जाता है।

सिविल सेवाओं का ऐतिहासिक विकास

भारत में संगठित लोक प्रशासन की अवधारणा प्राचीन काल से मौजूद है।

  • मौर्य प्रशासन के समय में विभिन्न पदों पर नियुक्तियाँ की जाती थीं, जिन्हें आज के सिविल सेवकों के समान माना जा सकता है।
  • चाणक्य के अर्थशास्त्र से पता चलता है कि सिविल सेवकों की भर्ती योग्यता के आधार पर की जाती थी और चयन प्रक्रिया कठोर थी।
  • मुगल काल में भी, राज्य के अधिकारी थे जो भूमि राजस्व की व्यवस्था का ध्यान रखते थे।
  • आधुनिक युग में, ईस्ट इंडिया कंपनी ने अपनी वाणिज्यिक गतिविधियों के लिए सिविल सेवाओं का गठन किया।

ब्रिटिश शासन के दौरान, सिविल सेवाओं की स्थापना मुख्य रूप से भारतीय क्षेत्रों पर नियंत्रण बनाए रखने के लिए की गई थी। लॉर्ड वेलेस्ली ने 1800 में फोर्ट विलियम कॉलेज की स्थापना की, जहाँ कंपनी के कर्मचारियों को तीन साल का प्रशिक्षण दिया जाता था। स्वतंत्रता के बाद, भारतीय सिविल सेवाओं को पुनर्गठित किया गया।

सिविल सेवाओं का महत्व

देश भर में सिविल सेवाओं का एक मजबूत नेटवर्क है, जो देश को जोड़ता है।

  • नीति निर्माण और कार्यान्वयन: नीतियों के निर्माण और उनके कार्यान्वयन में सिविल सेवाएँ महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
  • गैर-पक्षपातपूर्ण सलाह: सिविल सेवाएँ राजनीतिक अस्थिरता के बीच भी देश के नेतृत्व को निष्पक्ष सलाह देती हैं।
  • समन्वयकारी भूमिका: वे विभिन्न सरकारी विभागों और एजेंसियों के बीच प्रभावी समन्वय सुनिश्चित करते हैं।
  • सेवा वितरण: विभिन्न सरकारी सेवाओं के वितरण को सुनिश्चित करने में सिविल सेवाएँ महत्वपूर्ण हैं।

सिविल सेवाओं के कार्य

  • सरकार का आधार: कोई भी सरकार अपने प्रशासनिक तंत्र के बिना काम नहीं कर सकती।
  • कानूनों और नीतियों का क्रियान्वयन: सिविल सेवक सरकार द्वारा बनाई गई नीतियों और कानूनों को लागू करते हैं।
  • नीति निर्माण: सिविल सेवक नीतिगत मामलों पर मंत्रियों को सलाह देते हैं।
  • स्थिरता प्रदान करना: सिविल सेवाएँ राजनीतिक अस्थिरता के समय प्रशासनिक व्यवस्था को स्थिर रखती हैं।
  • सामाजिक परिवर्तन और आर्थिक विकास: सिविल सेवाओं का काम तभी सफल माना जाता है जब सरकार की योजनाएँ लाभार्थियों तक पहुँचती हैं।
  • कल्याणकारी सेवाएँ: ये सेवाएँ समाज के कमज़ोर वर्गों के लिए सामाजिक सुरक्षा, वृद्धावस्था पेंशन आदि जैसी योजनाएँ प्रदान करती हैं।
  • विकासात्मक कार्य: सिविल सेवाएँ कृषि, उद्योग, व्यापार और डिजिटल उन्नति के क्षेत्र में विकास कार्य करती हैं।
  • प्रशासनिक न्याय: सिविल सेवाएँ नागरिकों और राज्य के बीच विवादों को अर्ध-न्यायिक तरीके से सुलझाती हैं।

सिविल सेवाओं से संबंधित संवैधानिक प्रावधान

अनुच्छेद 53 और 154 के अनुसार, केंद्र और राज्यों की कार्यकारी शक्ति राष्ट्रपति या राज्यपाल में निहित है, जो अपने अधीनस्थ अधिकारियों के माध्यम से कार्य करते हैं। ये अधिकारी स्थायी सिविल सेवाएँ बनाते हैं, जिन्हें संविधान के भाग XIV द्वारा विनियमित किया जाता है।

कार्य संचालन के नियम: राष्ट्रपति या राज्यपाल को उनके कार्यों के निर्वहन में सहायता करने वाले अधिकारियों के व्यवसाय को नियंत्रित करने वाले नियम।

  • अनुच्छेद 311: सिविल सेवकों को बर्खास्तगी, हटाने या पद में कमी से संरक्षण।
  • अनुच्छेद 312: अखिल भारतीय सेवाएँ।

सिविल सेवकों की जवाबदेही

सिविल सेवक जिस विभाग में काम करते हैं, उसके मंत्रियों के प्रति जवाबदेह होते हैं। मंत्री संसद या राज्य विधानसभाओं के माध्यम से जनता के प्रति जवाबदेह होते हैं। हालाँकि, एक निष्पक्ष सिविल सेवक संविधान के प्रति भी जवाबदेह होता है।

सिविल सेवाओं के सामने आने वाली समस्याएँ

  • पेशेवर दक्षता की कमी
  • प्रोत्साहन प्रणाली की कमी
  • कठोर और पुराने नियम
  • पारदर्शिता की कमी
  • राजनीतिक हस्तक्षेप
  • भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद

भारतीय और अमेरिकी सिविल सेवाओं के बीच अंतर

भारत में सिविल सेवाएँ स्थायी हैं और सरकार बदलने पर भी नहीं बदलती हैं। इसकी भर्ती प्रतियोगी परीक्षाओं के माध्यम से की जाती है। जबकि अमेरिका में स्पॉइल सिस्टम अपनाया जाता है, जहाँ सरकार के करीबी लोगों को सिविल सेवा में उच्च पद दिए जाते हैं।

भारत में लोकतंत्र के मुख्य तथ्य

  • भारत एक संघीय गणराज्य है।
  • राष्ट्रपति राज्य का मुखिया होता है और प्रधानमंत्री सरकार का मुखिया होता है।
  • केंद्र में संसदीय प्रणाली है।
  • यह सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार पर आधारित है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्न: लोकतंत्र में सिविल सेवाओं की क्या भूमिका है?
उत्तर: कुशल शासन और नीतियों के क्रियान्वयन में सिविल सेवाएँ महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

प्रश्न: राजनीतिक अस्थिरता के दौरान सिविल सेवाएँ स्थिरता कैसे बनाए रखती हैं?
उत्तर: सिविल सेवाएँ स्थायी होती हैं और मंत्रियों के बदलने के बावजूद प्रशासन में निरंतरता बनाए रखती हैं।

प्रश्न: आज सिविल सेवाओं को प्रभावित करने वाली चुनौतियाँ क्या हैं?
उत्तर: इनमें व्यावसायिकता की कमी, राजनीतिक हस्तक्षेप, पुराने नियम और भ्रष्टाचार शामिल हैं।

प्रश्न: भारतीय और अमेरिकी सिविल सेवाओं में क्या अंतर है?
उत्तर: भारत में सिविल सेवाएँ स्थायी और योग्यता आधारित हैं, जबकि अमेरिका में लूट प्रणाली का पालन किया जाता है।

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