हर वर्ष 6 जनवरी को “विश्व युद्ध अनाथ दिवस” के रूप में मनाया जाता है। यह दिन उन लाखों बच्चों को समर्पित है जो युद्ध के कारण अपने माता-पिता को खो चुके हैं और अनाथ हो गए हैं। इस दिवस का मुख्य उद्देश्य इन बच्चों की दुर्दशा के प्रति जागरूकता फैलाना और उनके लिए सहायता और समर्थन सुनिश्चित करना है।

विश्व युद्ध अनाथ दिवस का इतिहास

विश्व युद्ध अनाथ दिवस की स्थापना एक फ्रांसीसी संगठन SOS Enfants en Detresses द्वारा की गई थी। यूनाइटेड नेशंस चिल्ड्रन्स फंड (UNICEF) के अनुसार, लगभग 9,00,000 बच्चे उत्तर-पूर्व में रहते हैं, जो युद्ध के कारण शिक्षा, भोजन, आवास या शारीरिक नुकसान जैसी समस्याओं से प्रभावित हुए हैं। आंतरिक रूप से विस्थापित व्यक्ति (IDPs) वे लोग हैं जिन्हें अपने घर, काम और संपत्ति छोड़ने के लिए मजबूर किया गया है। यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि वे भूख या बीमारी का शिकार न हों।

महत्व

UNICEF.org के अनुसार, विश्व भर में 140 मिलियन से अधिक अनाथ हैं, जिनमें से 52 मिलियन अफ्रीका में, 10 मिलियन कैरेबियन और लैटिन अमेरिका में, 61 मिलियन एशिया में, और 7.3 मिलियन मध्य एशिया और पूर्वी यूरोप में हैं। आंकड़ों के अनुसार, अधिकांश अनाथ अपने बचे हुए माता-पिता, दादा-दादी, या अन्य परिवार के सदस्यों के साथ रहते हैं। 95% मामलों में सभी अनाथ बच्चों की आयु पांच वर्ष से अधिक होती है।

समृद्ध देशों में अनाथों की संख्या कम है, लेकिन जिन क्षेत्रों में युद्ध या गंभीर बीमारियां हुई हैं, वहां उनकी संख्या काफी अधिक है।

यूनिसेफ के अनुसार, 1990 से 2001 के बीच अनाथों की संख्या बढ़ी, लेकिन 2001 के बाद से यह संख्या हर साल लगभग 0.7% की दर से घट रही है।

युद्ध का सबसे बड़ा प्रभाव बच्चों पर पड़ता है। ये बच्चे न केवल अपने माता-पिता को खो देते हैं, बल्कि उन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य और सामान्य जीवन के अधिकार से भी वंचित कर दिया जाता है। विश्व युद्ध अनाथ दिवस का उद्देश्य:

  • जागरूकता फैलाना: समाज को इन बच्चों की समस्याओं के प्रति संवेदनशील बनाना।
  • सहायता जुटाना: अनाथ बच्चों को शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं और पुनर्वास प्रदान करने के लिए संसाधन जुटाना।
  • नीतियां बनाना: सरकारों और संगठनों को इन बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए मजबूत नीतियां बनाने के लिए प्रेरित करना।

आज की स्थिति

आज भी दुनिया भर में कई युद्धग्रस्त क्षेत्रों में बच्चे अनाथ हो रहे हैं। सीरिया, अफगानिस्तान, यमन और अन्य देशों में चल रहे संघर्ष इसके जीवंत उदाहरण हैं।

हम क्या कर सकते हैं?

  • अंशदान करें: अनाथ बच्चों की सहायता के लिए काम कर रहे संगठनों को आर्थिक सहयोग दें।
  • स्वयंसेवा करें: इन बच्चों के पुनर्वास और शिक्षा में सहयोग करने के लिए समय दें।

निष्कर्ष

बच्चों की उपेक्षा को ध्यान में रखते हुए, हर साल विश्व युद्ध अनाथ दिवस मनाया जाता है ताकि इन बच्चों को पहचान दी जा सके और यह याद दिलाया जा सके कि हमें युद्ध की छाया को कम करने के लिए प्रयास करना चाहिए ताकि कोई भी बच्चा इस दुनिया में अनाथ न रहे।

“हर छोटा प्रयास इन बच्चों के जीवन में बड़ा बदलाव ला सकता है।”

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